रांची (ब्यूरो)। गल्र्स हॉस्टल के बाहर न तो पुलिस का पहरा होता है और न ही सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाते हंै। इसका फायदा लोकल लड़के उठाते हैं और नुकसान अपने घर से दूर हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाली लड़कियों को उठाना पड़ता है। घटना घटने के बाद पुलिस पहुंचती है तब तक फब्तियां कसने वाले फरार हो चुके होते हैं। हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों ने कई बार मैनेजर से इसकी शिकायत की है, लेकिन लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कोई पहल नहीं हुई। कुछ महीने पहले ही कुमार गल्र्स हॉस्टल के बाहर भी मारपीट हुई थी। इसके पीछे भी वजह लड़की के साथ छेड़छाड़ ही थी। वहीं थड़पखना स्थित गल्र्स हॉस्टल के बाहर भी मारपीट का मामला सामने आ चुका है।

दूर-दराज से आती हैं लड़कियां दूर-दराज गांव-कस्बों से लड़कियां पढ़ाई करने के लिए रांची आती हैं। हर दिन घर आना-जाना संभव नहीं होता, जिस कारण ये सिटी के ही गल्र्स हॉस्टल में रहती हैं। होस्टल के अंदर तो सुरक्षा की पूरी गारंटी ली जाती है, लेकिन हॉस्टल के बाहर क्या होता है, इसकी गारंटी कोई नहीं लेता। हॉस्टल ओनर भी हॉस्टल के अंदर सुरक्षा के पूरे इंतजाम रखते हैं। लेकिन बाहर एक सुरक्षा गार्ड भी नहीं रखते। हालांकि, कुछ हॉस्टल में सुरक्षा गार्ड हैं, लेकिन वे भी सिर्फ नाम के। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरा भी हॉस्टल के बाहर लगा है। लेकिन सड़क पर आते-जाते समय जब अड्डेबाजी करने वाले लड़कियों पर कमेंट करते हैं, तो वहां से सिर झुकाकर निकलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

गल्र्स हॉस्टल के बाहर पीसीआर टीम घूमती है। किसी तरह की परेशानी होने पर लड़कियां पीसीआर के जवान या 100 नंबर पर डायल कर समस्या बता सकती हैं। पेट्रोलिंग और सख्त की जाएगी।

सौरभ, सिटी एसपी