रांची: गले में नाग लेकर फोटो खिंचवाने वाले डीजीपी डीके पांडे ने खुलेआम सरकारी जमीन पर कब्जा कर आलीशान मकान बना लिया। जिला प्रशासन ने 20 फरवरी को पत्रांक संख्या 32/2020 द्वारा मामले की जांच रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि उक्त खाता संख्या 87 के सभी 67 प्लॉट प्रतिबंधित सूची में दर्ज हैं। इन सभी प्लाट को लैंड बैंक में शामिल किया जा चुका है। इसके बावजूद पूर्व डीजीपी डीके पांडेय और पुलिस हाउसिंग कॉलोनी के नाम से कारोबार करने वाले लोगों का इस सरकारी जमीन पर कब्जा बरकरार है। जमीन की चारों तरफ से सख्त घेराबंदी कर दी गई है, जहां से किसी को भी जमीन पर एंट्री नहीं करने दी जाती।

पुलिस हाउसिंग कॉलोनी का बोर्ड

इस रिपोर्ट से साफ है कि सारी जमीन सरकार की है, लेकिन उक्त सरकारी जमीन पर पुलिस हाउसिंग कॉलोनी का बोर्ड लगाकर खुलेआम कब्जा किया जा रहा है। सवाल यह खड़ा होता है कि पुलिस हाउसिंग कालोनी का संचालक कौन है, किसने बनाई है हाउसिंग कॉलोनी नाम से यह संस्था। इसका रजिस्ट्रेशन कहां कराया गया है। जब जमीन की खरीद-बिक्री में पुलिस हाउसिंग कॉलोनी के पदाधिकारियों का नाम डीड में मेंशन नहीं किया जाता तो फिर वहां बोर्ड पुलिस हाउसिंग कॉलोनी का क्यों लगाया गया है। इतने विवादों के बाद भी झारखंड पुलिस मामले में कोताही बरतने से बाज नहीं आ रही।

लोकल लोगों को मिल रही धमकी

लोकल लोगों का कहना है कि जमीन का धंधा करने वाले लोगों का विरोध करने पर स्थानीय पुलिस से लेकर वरीय पदाधिकारियों तक के नाम से धमकी दी जाती है, फोन पर बात तक करायी जाती है। उन्हें धमकाया जाता है कि कॉलोनी पुलिस वालों की है। इसमें जरा भी टांग अड़ाया तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

गलत दस्तावेजों पर खरीद-बिक्री

पूर्व डीजीपी पर कांके अंचल के चामा मौजा में पत्नी पूनम पांडेय के नाम गलत तरीके से 50.9 डिसमिल गैर मजरुआ जमीन खरीदने और उस पर घर बनाने का भी आरोप है। इस जमीन का खाता नंबर 87 और प्लॉट नंबर 1232 है। अधिकारियों के मुताबिक इस जमीन की खरीद-बिक्री अवैध है। अब इस मामले की जांच की जा रही है कि कैसे इस जमीन की रजिस्ट्री और जमाबंदी हुई।

क्या पुलिस इस बार भी पूर्व डीजीपी के सामने हो जाएगी खामोश

विवादों से घिरे रहने वाले पूर्व डीजीपी डीके पांडेय पर उनकी बहू रेखा मिश्रा ने गंभीर आरोप लगाया है। डीजीपी, उनकी पत्नी और बेटे पर गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज करा दिया है। सवाल यह उठता है कि कई मामलों में सुर्खियों में रहने वाले डीजीपी पर क्या इस बार भी झारखंड पुलिस या सरकार कार्यवाही कर पाएगी या यह मामला भी टेबल सेटलमेंट पर आकर रुक जाएगा।