रांची (ब्यूरो)। रांची का डीसी भवन जहां अपना काम कराने के लिए जिले भर से लोग हर दिन पहुंचते हैं। लेकिन यहां पहुंचने के बाद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर तीसरे तल्ले पर परिवहन कार्यालय में काम कराने जाना है तो लिफ्ट नहीं मिलती है। खासकर दिव्यांगों के लिए जो सुविधाएं यहां तैयार उपलब्ध हैं, वो भी ताले में बंद हैं। एक फ्लोर पर छह लिफ्ट लगाई गई है, लेकिन एक ही लिफ्ट काम करती है। वहीं, ए ब्लॉक में घुसने के साथ ही गंदगी से सामना होता है।

तमाम अफसरों का ऑफिस

यहां डीसी समेत जिले के तमाम बड़े अधिकारियों के कार्यालय हैं। फि र भी सफ ाई समेत तमाम जरूरी सुविधाओं की घोर कमी दिखती है। समाहरणालय दो ब्लॉक में बंटा हुआ है। पहला ब्लॉक ए और दूसरा ब्लॉक बी है। यहां दोनों बिल्डिंग में गंदगी से ही शुरुआत होती है। रविन्द्र भवन की ओर से घुसते ही गेट पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। यही हाल है कैंपस के अंदर आने पर बाहर से चमकते शीशे को देखकर सुंदर बिल्डिंग तो दिखती है, लेकिन इस भवन के अंदर गंदगी फैली हुई है।

जहां थूकना मना है, वहीं गंदगी

जहां लिखा है, यहां थूकना मना है, लेकिन यहां आने जाने वाले लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। लोग खुलेआम यहां थूकते नजर आते हैं। हालांकि दीवारों पर थूकते पकड़े जाने पर जुर्माने की बात लिखी हुई है, लेकिन थूकने वालों की कोई निगरानी नहीं होती। इसके अलावा वहां कचरे का भी ढेर लगा हुआ है। इस भवन के हर फ्लोर पर उपर चढऩे के साथ ही कोने पर लोगों ने गंदगी फैला रखी है।

मेनटेनेंस का अभाव

रांची डीसी ऑफिस को बने करीब 14 साल पूरे हो गए हैं। मेनटेनेंस के अभाव में बेसमेंट से पानी का रिसाव हो रहा है। बेसमेंट में जहां एक तरफ पानी का रिसाव हो रहा है। वहीं दूसरी ओर बेसमेंट के अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इतना ही नहीं, लाइट का भी इंतजाम बेसमेंट के अंदर नहीं है। इस वजह से बेसमेंट के अंदर गाड़ी पार्क करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गाड़ी पार्क करने वाले लोगों से 10 रुपए शुल्क वसूला जाता है। इसके बावजूद यहां कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।

2009 में हुआ भवन निर्माण

रांची समाहरणालय भवन का 2009 में निर्माण हुआ था। अभी इस भवन के बने 14 साल ही हुए हैं लेकिन अभी से ही इसकी स्थिति खराब हो गई है। जबकि इस भवन के मेनटेनेंस पर भी भवन निर्माण विभाग का खर्च हर महीने होता है, लेकिन यह खर्च कहां होता है, किसी को दिखाई नहीं दे रहा है।

दिव्यांगों के रास्ता व टॉयलेट लॉक

डीसी ऑफि स में दिव्यांगों के आने-जाने के लिए अलग से रास्ता बनाया गया है। लेकिन यह कई सालों से बंद पड़ा हुआ है। एंट्री गेट पर ही ताला लगा दिया गया है। यही हाल है दिव्यांगों के लिए बनाए गए शौचालय का, जिसमें ताला लगा हुआ है। अगर कोई दिव्यांग यहां अपना काम करने के लिए पहुंचता है तो उसे संघर्ष करने के बाद ही कार्यालय पहुंचना होता है। जबकि दोनों भवनों में डिजाइन के अनुसार दिव्यांगों के लिए अलग से सारा कुछ तैयार किया गया है। लेकिन, जिला प्रशासन की लापरवाही और देखरेख के अभाव के कारण इसका इस्तेमाल दिव्यांग नहीं कर पा रहे हैं।

छह मंजिला भवन, लिफ्ट खराब

करोड़ों रुपए की लागत से बने इस भवन में पहले फ्लोर से लेकर छठे फ्लोर तक जाने के लिए छह लिफ्ट लगाई गई है, लेकिन इसमें से एक लिफ्ट ही काम करता है। कभी-कभार दूसरी लिफ्ट को शुरू किया जाता है लेकिन यह भी बीच में धोखा दे जाती है। दूसरी साइड में एक साथ में तीन लिफ्ट बनकर तैयार है लेकिन इसका इस्तेमाल लोग नहीं कर पा रहे हैं। यह हाल डीसी ऑफिस के ब्लॉक ए और ब्लॉक बी दोनों का है।

यहां हैं कई ऑफिसेज

बता दें कि समाहरणालय भवन में डीसी, एसएसपी, एसडीओ, डीटीओ, पेंशन, एसी ऑफिस, खनन कार्यालय समेत तमाम अधिकारियों के कार्यालय हैं। जहां हर रोज विभिन्न कामों को लेकर लोग आते हैं।