रांची(ब्यूरो)। रांची में करोड़ों की लागत से काफी मशक्कत के बाद सदर अस्पताल तो बन गया, लेकिन यहां आने वाले मरीजों की सुविधाओं का घोर अभाव है। बाहर से चमचमाते इस भवन के अंदर ना तो मरीज के परिजनों के बैठने की व्यवस्था है। ना ही स्वच्छ पानी पीने का इंतजाम किया गया है। सदर अस्पताल के हर फ्लोर पर शौचालय तो बना दिया गया है लेकिन इस शौचालय की रेगुलर सफाई नहीं होने के कारण बदबू से लोग परेशान रहते हैं। यहां इलाज करने आने वाले मरीज के परिजनों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

कैंपस के अंदर गंदगी

हॉस्पिटल से कचरे का उठाव नहीं हो रहा है। ब्लैक बैगेज में जमा कर हॉस्पिटल की गंदगी कोने में पड़ी रहती है, जिसमें मच्छर-मक्खी पनपने की समस्या बनी रहती है। बीमारी भी बढऩे का खतरा बना रहता है। हॉस्पिटल जैसे स्थान पर साफ-सफाई की महत्ता और च्यादा बढ़ जाती है। सदर हॉस्पिटल के वार्ड में च्यादा गंदगी नहीं है, लेकिन यहां के बाथरूम में नियमित सफाई नहीं होने से गंदगी फैली हुई है। इसके अलावा पाइपलाइन जाम होने से बेसिन में जलजमाव हो रहा है। हॉस्पिटल कैंपस में चारों ओर गंदगी का आलम है। कहीं गंदा पानी जमा है तो कहीं पाइप बिछाने के लिए गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं। कैंपस के अंदर थोड़ी-बहुत व्यवस्था पटरी में नजर आती है।

इधर-उधर इक्विपमेंट्स

सदर हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग में इलाज शुरू हुए तीन साल से च्यादा वक्त गुजर गया है। लेकिन अब भी कई इक्विपमेंट्स और सामान ऐसे ही इधर-उधर बेकार पड़े हैं, जिससे हॉस्पिटल के कमरे कबाडख़ाना नजर आता है। जिस कमरे का इस्तेमाल पेशेंट के इलाज के लिए या वार्ड बनाने के लिए या फिर दूसरे काम के लिए किया जा सकता था, वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। हॉस्पिटल में जिस तरफ कैंटीन है उधर भी कई सारे इक्विपमेंट्स ऐसे ही पड़े हुए हैं। जो धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। इधर हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग के पीछे भी कचरा और पानी जमा रहता है।

अब तक 500 बेड पूरे नहीं

विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी को रांची सदर अस्पताल में 500 बेड वाली सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने का काम मिला था। अस्पताल पूरी तरह से चालू हुआ है लेकिन अभी भी 500 बेड पर पूरी तरह से मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। दस सालों से लोग इसका इंतजार कर रहे हैं। बहुत मुश्किल से इस अस्पताल का निर्माण पूरा हुआ है। इसके बावजूद अब तक यह पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है।

यहां पानी की भी समस्या

गर्मी में सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है। अत्यधिक गर्मी के चलते परिसर में जलस्तर तेजी से नीचे चला जाता है। इस कारण इस साल गर्मी में परिसर के अंदर लगे पांच में से तीन सबमर्सिबल वाटर मोटर से पानी आना बंद हो गया। इस वजह से हॉस्पिटल में डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ्स, हाउस कीपिंग स्टॉफ से लेकर मरीजों तक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दो मोटर से भी बहुत ही सीमित मात्रा में पानी अस्पताल की ऊपरी मंजिल तक पहुंच पाता है।

डायलिसिस मरीजों को संकट

भविष्य में अगर अस्पताल के अंदर ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हुआ तो किडनी मरीजों को परेशानी हो सकती है। न्यू विंग के ऊपरी तल्ले पर स्थित डायलिसिस सेंटर के डे केयर सेंटर में भर्ती मरीजों को पानी की जरूरत पड़ती है। सामान्य डायलिसिस सप्ताह में तीन बार किया जा सकता है। इस दौरान एक औसत सप्ताह में 300 से 600 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। ओल्ड विंग में ग्राउंड फ्लोर पर सामान्य रोगों का इलाज किया जाता है। यहां सभी सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन इस भीषण गर्मी में वाटर कूलर खराब रहने के कारण पेयजल की व्यवस्था नहीं रहती है।