रांची: राजधानी रांची में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का गोरखधंधा जोर-शोर से चल रहा है। कचहरी में चाय बेचने वाले से लेकर फार्म बेचने वाले, होटल वाले और एजेंट सभी बेखौफ होकर फर्जी लाइसेंस बनाने का काम कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से न तो कभी जांच की गई और न ही कोई कार्रवाई हुई। यही कारण है गलत काम करने वालों का मनोबल बढ़ा हुआ। किसी भी तरह का फर्जी कागज बनाना है, लाइसेंस बनाना है या फर्जी कोई भी काम कराना है यहां कचहरी में सबकुछ चुटकी में हो जाता है। ओरिजिनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में जहां एक से दो महीने का वक्त लगता है। वहीं डुप्लीकेट लाइसेंस बनाने वाले एजेंट सिर्फ एक दिन में लाइसेंस बनाने का दावा करते हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब डीजे आईनेक्स्ट की टीम ने कचहरी के एक एजेंट से लाइसेंस बनवाने की बात पूछी। उस एजेंट ने लाइसेंस एक दिन में बनाकर देने का दावा किया।

चिप वाले का 3000 रुपए

लाइसेंस बनाने के लिए अलग-अलग रेट फिक्स है। साधारण लाइसेंस यदि बनवाना चाहते हैं तो यह सिर्फ एक हजार रुपए में तैयार हो जाएगा। वहीं यदि चिप वाला लाइसेंस बनवाना हो तो इसके लिए आपको तीन हजार रुपए चुकाने होंगे। दिलचस्प बात यह है कि लाइसेंस बनवाने के लिए आपको न तो किसी तरह के टेस्ट से गुजरना पडे़गा और न ही फोटो खिंचवाने की भी जरूरत है। समान्यत: नया लाइसेंस बनवाने के लिए पहले लर्निग लाइसेंस बनाया जाता है। इसकी वैलीडिटी एक महीने होती है। इसके बाद टेस्ट के प्रॉसेस से गुजरना होता है। तब जाकर मूल लाइसेंस प्राप्त होता है, जिसमें एक से दो महीने का वक्त लगता है। लेकिन फर्जी लाइसेंस एक दिन में तैयार हो जाता है। सिर्फ एक हजार रुपए देकर आप किसी के नाम भी लाइसेंस बनवा सकते हैं।

सिटी में 15 हजार फेक डीएल

परिवहन विभाग के अनुसार, सिटी में लगभग 15 हजार लाइसेंस फर्जी हैं। इसका पता तब चला जब वाहन चलाने वाले ट्रैफिक रूल तोडते हुए पकडे़ गए और ट्रैफिक विभाग द्वारा लाइसेंस जब्त कर उसे सस्पेंड करने के लिए डीटीओ ऑफिस भेजा गया। लेकिन डेटा नहीं मिलने के कारण ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से इस दिशा में अबतक कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया है। फर्जी लाइसेंस बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। फर्जी लाइसेंस भी बिल्कुल ओरिजिनल की तरह नजर आता है। कोई भी आम इंसान या पुलिस धोखे में पड़ सकता है। लेकिन डेटा मिलाने पर असली और नकली की पहचान हो जाती है।

ठगे जा रहे युवा

युवा अपना लाइसेंस बनवाने कचहरी पहुंचते हैं, लेकिन यहां बैठे दलाल युवाओं को गुमराह कर उनका फर्जी लाइसेंस बना देते हैं। युवाओं को इसका खामियाजा सड़क पर ट्रैफिक चेकिंग के दौरान उठाना पड़ता है। कांटाटोली चौक पर चेकिंग के दौरान एक ऐसा ही युवक पकड़ा गया, जिसके पास फर्जी लाइसेंस पाया गया। उस युवक ने बताया कि कचहरी के पास जॉर्डन और टारजन नामक युवक ने चार हजार रुपए लेकर लाइसेंस बनाया था। पैसे देने के बाद दो महीने बाद मुझे बुलाकर लाइसेंस दे दिया गया। मुझे इसके लिए कुछ करना नहीं पड़ा। युवक को पता भी नही था कि उसका लाइसेंस फर्जी है। जब ट्रैफिक पुलिस ने डेटा मिलाया तो सच्चाई सामने आई।

एजेंट से सीधी बातचीत

रिपोर्टर : लाइसेंस बनवाना है कैसे बनेगा, जिसमें ज्यादा खर्च न करना पडे़?

एजेंट : नाम, पता, एड्रेस लिख के दीजिए, काम हो जाएगा।

रिर्पोटर : कितना खर्च लगेगा?

एजेंट : बिना चिप वाले का एक हजार और चिप लगाकर तीन हजार रुपए लगेगा।

रिर्पोटर : कितने दिन में दे दीजिएगा?

एजेंट : आज नाम, पता दीजिए, कल मिल जाएगा।

रिर्पोटर : टेस्ट भी देना होगा क्या?

एजेंट : नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं है।

रिपोर्टर : पुलिस पकडे़गी तो नहीं?

एजेंट : नहीं, बिल्कुल ओरिजिनल रहेगा, किसी को पता ही नहीं चलेगा। बहुत लोगों का बनाए हैं।

कचहरी में यह काम चल रहा है। लॉकडाउन से पहले छापेमारी कर ऐसे लोगों को पकड़ा गया था। यदि फिर से हो रहा है तो एसडीओ को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा जाएगा। आम नागरिकों को भी फर्जी लोगों से बचना चाहिए। लाइसेंस बनवाना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपना लाइसेंस बनवा सकता है।

- प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची