- सीबीआइ कोर्ट ने समन जारी कर 28 मार्च को हाजिर होकर पक्ष रखने का दिया आदेश
- दुमका कोषागार से अवैध निकासी का मामला
- अधिकारियों में अंजनी कुमार सिंह, विजय शंकर दुबे, डीपी ओझा के नाम शामिल
- अदालत ने कहा है कि घोटाले में इनकी भी संलिप्तता, सीबीआइ ने इन्हें बचाने का किया कार्य

धारा 319 के तहत सभी को आरोपित किया
अदालत ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सभी को आरोपित किया है। दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 38ए/96 के मामले में अदालत ने बिहार के मुख्य सचिव व दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह, पूर्व मुख्य सचिव व तत्कालीन वित्त सचिव विजय शंकर दुबे, पूर्व डीजीपी व निगरानी के तत्कालीन एडीजी डीपी ओझा, सीबीआई के तत्कालीन इंस्पेक्टर व वर्तमान एएसपी और मामले के अनुसंधान पदाधिकारी एके झा, सीबीआइ के गवाह सह आपूर्तिकर्ता दीपेश चंडोक, शिव कुमार पटवारी व फूल झा को आरोपित किया है।

बड़े पैमाने पर राशि की निकासी नहीं होती
अदालत ने कहा है कि घोटाले में इनकी भी संलिप्तता है। सीबीआइ ने इन्हें बचाने का कार्य किया है। अंजनी कुमार दुमका में उपायुक्त के पद पर कार्यरत थे। उपायुक्त कोषागार का रक्षक होता है। कोषागार से प्रत्येक निकासी की सूचना उन्हें दी जाती है, लेकिन अवैध निकासी पर संज्ञान नहीं लिया। इसकी अनदेखी की और अवैध निकासी को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं डीपी ओझा ने एडीजी विजिलेंस होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की। तत्कालीन वित्त सचिव विजय शंकर दुबे ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। अदालत ने कहा है कि अवैध निकासी की सूचना सभी को थी। सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई होती तो बड़े पैमाने पर राशि की निकासी नहीं होती।

सीआरपीसी की धारा में आरोपित करने का है प्रावधान
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत सभी को आरोपित किया है। जानकार अधिवक्ताओं के अनुसार सीआरपीसी की धारा 319 के तहत कोर्ट को यह अधिकार है कि किसी मामले की सुनवाई के दौरान केस के आरोपितों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य आया है तो उसे सीआरपीसी की धारा 319 के तहत मामले में आरोपित कर उसे हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है।

आनंद कुमार गुटगुटिया का रिकार्ड हुआ अलग
आपूर्तिकर्ता आनंद कुमार गुटगुटिया के रिकार्ड को भी अदालत ने अलग किया है। इनके खिलाफ आपूर्तिकर्ता व मामले के आरोपी राजेन्द्र कुमार बगेरिया ने कहा था कि उन्हें गलत तरीके से सीबीआइ ने आरोपी बनाया है। वे कृष्णा रोड कैरियर में कर्मचारी थे। जबकि इस फर्म का मालिक आनंद कुमार गुटगुटिया था। मालिक को सीबीआइ ने बचाया और कर्मचारी को फंसाने का कार्य किया है। बगेरिया का रिवीजन हाई कोर्ट में लंबित है। इसलिए गुटगुटिया के रिकार्ड को अदालत ने अलग किया है। इसपर सुनवाई के लिए अदालत ने अगली तिथि 6 अप्रैल निर्धारित की है।

डीपी ओझा देवघर मामले में भी बनाए गए हैं आरोपी
जानकारी हो कि इसके पूर्व में देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में फैसला सुनाए जाने के पूर्व बिहार के पूर्व डीजीपी व निगरानी के तत्कालीन एडीजी को शिवपाल सिंह की अदालत ने आरोपित किया है। इसके बाद डीपी ओझा ने हाई कोर्ट में आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इसपर सुनवाई करते हुए आरोपी बनाने के आदेश पर रोक लगा दी है। इस मामले पर रोक जारी है कि डीपी ओझा को अदालत ने दूसरा झटका दिया है।

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