RANCHI: अगले महीने से एग्जाम का सीजन शुरू हो जाएगा। जिसे लेकर बच्चों को अभी से ही टेंशन सताने लगा है। वहीं पेरेंट्स का प्रेशर ऐसा कि उनकी डेली रूटीन ही बदल गई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बच्चों की परफार्मेस पर असर पड़ेगा। इसलिए पढ़ाई से लेकर खाने और सोने का रूटीन बनाकर उसे मेंटेन करें तो बच्चों को एग्जाम के दिन टेंशन नहीं होगा। वहीं उनका रिजल्ट भी बेहतर आएगा। यह कहना है साइकियाट्रिस्ट डॉ। केश कुमार का। उनकी मानें तो इसमें पेरेंट्स को भी सपोर्ट करना होगा। कहीं ऐसा न हो जाए कि प्रेशर के चक्कर में बच्चों का रिजल्ट ही गड़बड़ हो जाए।

नींद के लिए 8 घंटे जरूरी

एग्जाम के प्रेशर से बच्चे रात-रात भर जागकर पढ़ाई करने में जुटे हैं, जिसका असर उनकी सेहत पर भी पड़ रहा है। ऐसे में काउंसेलिंग के लिए साइकियाट्रिस्ट के पास पहुंच रहे हैं। डॉक्टर की मानें तो बच्चे अपने डेली रूटीन में सबसे पहले 8 घंटे नींद के लिए छोड़ दें। इसके बाद बाकी के 16 घंटे में एक घंटे घूमने-फिरने के लिए भी जरूर रखें। अब 15 घंटों में अपनी पढ़ाई का शिड्यूल बनाकर तैयारी करें तो कोई परेशानी ही नहीं होगी।

बच्चे एग्जाम के चक्कर में अपना रूटीन बदल लेते हैं। रातभर जागकर पढ़ाई करना और दिन में सोने की उनकी आदत हो जाती है। यही आदत एग्जाम में उनके लिए परेशानी बन जाती है। इसलिए एग्जाम को ध्यान में रखते हुए रूटीन मेंटेन करें। पेरेंट्स कभी भी बच्चों को एक्सट्रा प्रेशर न दें। फिर वे अपने बच्चों का रिजल्ट देख सकते हैं।

डॉ। केशव कुमार, साइकियाट्रिस्ट