RANCHI:झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को दो अहम मामलों पर सुनवाई हुई। पहला मामला मशरख (बिहार) के विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे बिहार के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह से जुड़ा था। जबकि दूसरा मामला लालू प्रसाद की जमानत अर्जी से जुड़ा था। प्रभुनाथ सिंह के मामले में अदालत ने उनकी उम्र कैद की सजा बरकरार रखी। वहीं लालू प्रसाद की जमानत को लेकर सीबीआई ने और समय की मांग की, जिसके बाद अदालत ने 11 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय कर दी।

रितेश सिंह को बरी किया गया

शुक्रवार को हाई कोर्ट के जस्टिस एके गुप्ता व जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी। उधर, इसी मामले में सजायाफ्ता रितेश सिंह को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फरवरी में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को फैसला सुनाया गया।

हत्या के पर्याप्त साक्ष्य

अदालत ने प्रभुनाथ सिंह व दीनानाथ सिंह की अपील खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि प्रभुनाथ सिंह और दीनानाथ सिंह पर हत्या में शामिल होने के पर्याप्त साक्ष्य हैं। घटनास्थल पर दोनों लोगों के देखे जाने व हत्याकांड की योजना बनाने में दोनों के शामिल होने की बात भी साबित हुई है। ऐसे में निचली अदालत की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा जा रहा है। अदालत ने कहा कि इस मामले में रितेश सिंह के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है। साथ ही उनके साजिश में शामिल होने की बात भी साबित नहीं हो पाई है। इस कारण संदेह का लाभ देते हुए अदालत उन्हें बरी करती है।

2017 में हुई थी सजा

दरअसल, हजारीबाग की निचली अदालत ने 23 मई 2017 को तीनों को विधायक अशोक सिंह हत्याकांड का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ तीनों ने हाई कोर्ट में अपील करते हुए निचली अदालत के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया था।

क्या है मामला

वर्ष 1995 में मशरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की उस समय बम मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने सरकारी आवास में लोगों से मिल रहे थे। प्रभुनाथ सिंह को इस हत्याकांड मुख्य आरोपी व साजिशकर्ता बताया गया था। इस मामले में अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह और उनके दो भाइयों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। चांदनी सिंह ने प्राथमिकी में कहा था कि चुनाव हारने के बाद प्रभुनाथ सिंह ने 90 दिनों के अंदर ही अशोक सिंह की हत्या करने की बात कही थी और ठीक 90वें दिन उनकी हत्या हो गई।

31 माह से जेल में हैं लालू

झारखंड हाई कोर्ट में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई टल गई। अब इस मामले में 11 सितंबर को सुनवाई होगी। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से समय की मांग की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। दरअसल, चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की है। लालू प्रसाद के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने अदालत को बताया कि इस मामले में उन्हें पांच साल की सजा मिली है। सजा की आधी अवधि उन्होंने जेल में बिता ली है। इस कारण उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। लालू प्रसाद ने इस मामले में अभी तक 31 माह और सात दिन जेल में बिताए हैं। जबकि सजा की आधी अवधि 30 माह में ही पूरी हो रही है, इसलिए जमानत दी जाए। अदालत को बताया गया कि लालू प्रसाद अभी अस्वस्थ हैं। उन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारी, क्रॉनिक किडनी डिजीज जैसी 16 तरह की बीमारियां हैं। सीबीआइ की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में वरीय वकील राजीव सिन्हा पक्ष रखेंगे। उनकी तबीयत खराब हैं, इसलिए सीबीआइ को अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाए। इस पर लालू के अधिवक्ता ने मामले में तिथि निर्धारित करने की बात कही। इसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 सितंबर की तिथि निर्धारित की है।