रांची (ब्यूरो)। रांची को रमणीक बनाने की दिशा में कई काम तरे किए गए, लेकिन ये सब कुछ ही दिनों में बर्बाद होते चले गए। चौक-चौराहों को संवारने की दिशा में भी काम हुआ, लेकिन कुछ ही दिन बाद मेनटेनेंस बंद होने से पहले से भी खराब हालत चौक-चौराहों की हो चुकी है। रांची के प्रमुख चौराहा अल्बर्ट एक्का चौक की खूबसूरती बढ़ाने के लिए वाटर फाउंटेन लगाया गया था। लेकिन बीते कई महीने से ये फांउटेन बंद पड़े हैं। न तो इसका मेनटेनेंस करने की कोई जिम्मेवारी उठा रहा है और न ही चौक के सौंदर्यीकरण पर ध्यान दिया जा रहा है। सिटी के चौक-चौराहों और पार्कों की सुंदरता बढ़ाने के लिए लाखों रुपए खर्च करके वाटर फाउंटेन लगाए गए थे, ताकि सिटी की खूबसूरती के साथ-साथ यहां की आबोहवा को भी शुद्ध किया जा सके। लेकिन कुछ ही दिन बाद सभी फाउंटेन एक-एक कर बंद होते चले गए।
फाउंटेन के सामान भी गायब
देखरेख के अभाव में न सिर्फ इन फाउंटेन की दुर्दशा हुई, बल्कि फाउंटेन में लगे उपकरण भी गायब हो चुके हैं। वहीं किसी में बिजली कनेक्शन तो किसी में वाटर सप्लाई नहीं हो रही है। इससे फाउंटेन के नुकसान के साथ-साथ शहर की सुंदरता में भी दाग लग रहा है। सिटी के लगभग सभी चौराहों की हालत दयनीय है। इन चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए नगर निगम ने कई बार योजनाएं बनाईं, लेकिन सभी ठंडे बस्ते में चली गईं। रमणीक बनाने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर पौधे भी लगाए गए हैं। वो भी देखरेख के अभाव में सूखते जा रहे हैं। इसके अलावा मोरहाबादी ग्राउंड के समीप भी रमणीक रांची के तहत खूबसूरती बढ़ाई गई थी। वह भी अब बदहाल हो चुकी है।
फांउटेन कई महीनों से बंद
अल्बर्ट एक्का चौक
अल्बर्ट एक्का चौक राजधानी रांची का एक प्रमुख चौराहा है। सिटी के हृदय स्थली पर होने के कारण रांची की पहचान इससे जुड़ी है। चौक की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए यहां वाटर फाउंटेन लगाया गया है। लेकिन बीते कई महीने से यह फाउंटेन बंद पड़ा हुआ है। धीरे-धीरे फाउंटेन के सामान भी गायब हो चुके हैं। रही-सही कसर राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता निकाल देते हैं। अमूमन हर दिन कोई न कोई संगठन, दल, यहां प्रदर्शन करने जरूर जमा होता है। चौक के चारों ओर राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर भरे पड़े हैं।

यह फांउटेन भी रहता है बंद
राजेंद्र चौक
राजेंद्र चौक में भी फाउंटेन लगाया गया है। यह भी चलने से ज्यादा बंद ही रहता है। फाउंटेन के चलने से चौराहे की खूूबसूरती बढ़ जाती है। लेकिन बीते कई महीनों से वाटर फाउंटेन बंद है। हालांकि अन्य चौराहों की अपेक्षा इस चौराहे की हालत थोड़ी ठीक है। यहां बागवानी का लगातार ख्याल रखने से चौक हरा-भरा नजर आता है। राजेंद्र चौक के अलावा लालपुर, जेल मोड़, करमटोली, बरियातू, डोरंडा, किशोरी यादव चौक, कांके समेत अन्य सभी चौराहों की भी दुर्दशा हो चुकी है।


चौराहों के सौंदर्यीकरण का निजी एजेंसी को प्रस्ताव दिया गया था। कुछ एजेंसियों ने इसमें दिलचस्पी ली, लेकिन फिर किसी कारण प्रोजेक्ट पर आगे काम नहीं हो सका।
-संदीप कुमार, सिटी मैनेजर, आरएमसी