रांची: यह तेल का खेल ऐसा है कि कस्टमर्स को पता नहीं चल पाता कि उनके साथ क्या चालाकी की गई है। वहीं, पेट्रोल पंप वालों को एक्सट्रा पैसे भी बन जाता है। आलम ये है कि महज 400-500 मीटर की दूरी वाले दो पंपों से एक समान रुपए का पेट्रोल लेने और उसे चेक करने पर क्वांटिटी में भारी अंतर पाया जा रहा है। इसका खुलासा दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने किया, जब रांची-पटना रोड पर स्थित चढ्डा पेट्रोल पंप व लगभग 400 मीटर दूर पगला बाबा आश्रम के पास वाले पंप से 50 रुपए के लिए गए पेट्रोल में भारी अंतर देखा गया। हालांकि, यह सिर्फ इन्हीं दो पंपों का मामला नहीं है, बल्कि सिटी के अन्य विभिन्न पंपों से पेट्रोल के खेल में इसी तरह कस्टमर्स की जेब काटी जा रही है। अब किसी को पेट्रोल लेना रहता है तो वो दो पंपों से लेकर उसकी क्वांटिटी की तुलना थोड़ी न करता है। वहीं, पंप वालों की एक्सट्रा कमाई हो जा रही है।

बोतल में लेने पर मनमानी

बीच रास्ते कहीं भी गाड़ी में पेट्रोल खत्म हो जाने के बाद लोग मजबूरी में पेट्रोल पंप पर बोतल लेकर खरीदने जाते हैं, इसका फायदा पंप वाले उठाते हैं। क्योंकि वह ना तो मीटर से देते हैं और ना ही मशीन से। बोतल में पेट्रोल देने के लिए पहले से ही रिजर्व करके पेट्रोल रखा जाता है। इस कारण हर पंप पर पेट्रोल की क्वांटिटी में अंतर आ जाता है।

लीटर नहीं रुपए के हिसाब से खरीदारी

अब शायद ही कोई होगा जो कार या बाइक में लीटर के हिसाब से पेट्रोल भरवाता है। अक्सर अब रुपये के हिसाब से ही इसकी खरीदारी की जाती है। कोई गया तो पचास रुपये का भरवाया तो कोई सौ का। इसी अनुपात में दो सौ, पांच सौ और हजार रुपये के पैमाने से तेल लिया जा रहा है। यही वजह है कि लोगों को ठीक-ठीक रेट तक मालूम नहीं होता है।

तकनीकी प्रक्रियाओं की आड़ में खेल

राजधानी में 400 से 500 मीटर की दूरी होने पर ही पंपों के पेट्रोल में अंतर आ जा रहा है। यह खुलासा हुआ कि तेल डिपो की दूरी और तकनीकी प्रक्रियाओं की आड़ लेकर पंप संचालक ग्राहकों की जेब काट रहे हैं। इसमें पंप संचालक से लेकर स्टाफ्स तक की मिलीभगत होती है।