रांची(ब्यूरो)। अरे! शर्मा जी, आपका तो बहुत ज्यादा बिल हो गया है। सिर्फ एक महीने में छह हजार रुपए का बिल आ गया! ज्यादा यूज करते है क्या? खैर कोई बात नहीं आप चाहें तो इसको कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ खर्चा-पानी का ध्यान रखना होगा, बस। जी हां, इन दिनों घरों में जाकर बिल जेनरेट करने वाले कुछ इसी तरह बिल कलेक्शन कर रहे हैं। सिटी में करप्शन किस कदर हावी है, इसकी बानगी हर क्षेत्र में देखी जा सकती है। सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर सीओ, बीडीओ लेवल पर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। बिजली विभाग भी इससे अछूता नहीं है।
कोई मॉनिटरिंग नहीं
जेबीवीएनएल की ओर से बिल जेनरेट करने और कलेक्शन करने के लिए कंपीटेंट एनर्जी लिमिटेड को जिम्मेवारी सौंपी गई है। लेकिन एजेंसी के एजेंट फिल्ड में क्या कर रहे हैं इस पर न तो एजेंसी और न ही बिजली वितरण निगम की ही नजर है। एजेंसी के एजेंट फिल्ड में लोगों के घर जाकर उन्हें तरह-तरह के लुभावने ऑफर देकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं। कंज्यूमर को बिल कम करने से लेकर बकाया राशि भी कम करने का ऑफर दिया जा रहा है। एजेंट बिजली बिल जेनरेट करने उपभोक्ता के घर जाते हैं, वहां लालच का जाल बिछाते हैं और कंज्यूमर को फंसाने की कोशिश करते हैं। उपभोक्ताओं को इस बात का खास ख्याल रखना होगा कि वे उनके जाल में न फंसें। अन्यथा उन्हें और भी राशि देनी पड़ सकती है। बीते कुछ दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एजेंट की ओर से उपभोक्ताओं को अलग-अलग ऑफर दिया गया है। कोई इस लालच में फंस जाता है तो कोई अपनी सूझ-बूझ का परिचय देते हुए बच कर निकल जाता है।
रहें अलर्ट, लालच में न फंसें
आपके घर में लगा हुआ मीटर पहले से सील होता है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता है। ऐसा करना अपराध है। बिजली मीटर से छेड़छाड़ करने पर जेल भी जा सकते हैं। लेकिन बिजली बिल जेनरेट करने वाले खुद ही उपभोक्ताओं को मीटर रीडिंग कम करने और बकाया भी कम करने का लालच देते हैं। हालांकि, विभाग के इंजीनियरों की मानें तो ऐसा करना संभव नहीं है। यदि कोई ऐसा करने की बात करता है तो वह सिर्फ लोगों को बेवकूफ बना रहा है। मीटर में जितनी रीडिंग होती है उतनी ही यूनिट का चार्ज किया जाता है। कम यूनिट की बिलिंग की जा सकती है, लेकिन यूनिट कम नहीं की जा सकती है। एजेंट बिल कम बनाकर रिसिप्ट दे देते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को लगता है कि उनका पैसा बच गया। जबकि मीटर में यूनिट जस का तस बना रहता है। उपयोग के अनुसार इसमें वृद्धि होती जाती है। जब काफी ज्यादा बकाया बढ़ जाता है और कनेक्शन काटने की नौबत आ जाती है तब लोगों को पता चलता है कि उनके साथ फ्रॉड हो रहा था। इसलिए एजेंट की किसी भी बात पर भरोसा न करें और जितना का बिल बना है, समय पर उसका भुगतान कर दें।


केस 1
मोरहाबादी में रहने वाले सुरेंद्र शर्मा के साथ ऐसा ही हुआ। उनके घर बिल जेनरेट करने गए एजेंट ने शर्मा जो को बिल कम करने का लालच दिया। एजेंट ने कहा कि शर्मा जी आपका 6000 रुपए का बिल हुआ है। आप चाहें, तो इसे कम किया जा सकता है। शर्मा जी ने पूछा वह कैसे। एजेंट ने बताया कि 6000 रुपए के बिल को घटा कर 1000 रुपए कर देंगे, आपके पांच हजार रुपए बच जाएंगे। लेकिन इसके लिए आपको 2000 रुपए खर्च करने होंगे। हालांकि शर्मा जी ने अपनी सूझ-बुझ का परिचय दिया और एजेंट के झांसे में नहीं आए।


केस 2
बरियातू इलाके के राहुल श्रीवास्तव के साथ भी ऐसा ही वाकया हुआ। उनके घर आए एजेंट ने रीडिंग ही कम करने का लालच दिया। एजेंट ने बताया कि 900 यूनिट बिल उठा है। काफी ज्यादा बिल हो जाएगा। बोलिए, तो यूनिट ही कम कर दें। राहुल ने बताया कि मीटर सील है, ऐसे में कैसे यूनिट कम हो पाएगा। एजेंट ने कहा-सब हो जाएगा, सिर्फ कुछ खर्चा-पानी तैयार रखिए। राहुल भी एजेंट के झांसे में नहीं आए और उन्होंने 900 यूनिट का ही बिल निकालने को कहा।