रांची(ब्यूरो)। स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और समाजसेवी भइया राम मुंडा की 104वीं जयंती मंगलवार (11 जनवरी) को है। हर साल की तरह इस वर्ष भी उनके खूंटी स्थित गांव सेल्दा में बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटेंगे। इस दौरान स्व भइया राम मुंडा के नाम के (ससनदिरि)पत्थर की धुलाई एवं हल्दी, धूप धूवन दिखाया जाएगा। भैया राम जी ने मुंडारी में गांधी जी की जीवनी लिखी और उन गीतों को डॉ रामदयाल मुंडा स्वर देते थे। इस कथा का प्रसारण आकाशवाणी द्वारा किया जाता था और स्वर डॉ रामदयाल मुंडा दिया करते थे। इनकी मुंडारी लोक कथाओं का संकलन 1961 में 'दड़ा जमा कन होड़ो कहानी कोÓ के नाम से प्रकाशित हुआ। इस प्रकाशन की वजह से इनका नाम वल्र्डकैट आईडेंटिटीज में भी दर्ज है।

बचपन में ही पिता का निधन

स्वतंत्रता सेनानी भइया राम मुंडा खूंटी के सुदूर गांव सेल्दा के एक साधारण मुंडा परिवार में जन्मे असाधारण व्यक्ति थे, जिन्होंने तमाम कठिनाइयों के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। स्व भइया राम मुंडा का जन्म 11 जनवरी 1918 को हुआ था। इनके पिता गोपाल मुंडा का निधन भइया राम मुंडाजी के बाल्यकाल में ही हो गया था।

मां के कंधे पर शिक्षा की जिम्मेवारी

पिता के निधन के बाद इनकी शिक्षा की जिम्मेदारी माता चांद देवी ने संभाली। इनकी माता ने ही इन्हें पढऩे के लिए प्रेरित किया। भईया राम मुंडा पढऩे में मेधावी थे। 1931 में मिडिल स्कूल की परीक्षा में रांची जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया, आज भी जिला स्कूल में इनका नाम देखा जा सकता है। 1945 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1950-52 में रांची जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1969 में कांग्रेस प्रत्याशी चयन समिति के सदस्य बने।

1767 में तमाड़ विधायक

आकाशवाणी रांची में भी आजीवन सलाहकार समिति के सदस्य बने रहे। 1967 में तमाड़ विधानसभा के विधायक बने। फिर 1972-78 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 1972 में जब छोटानागपुर खादी ग्राम उद्योग संस्थान की स्थापना हुई तो इन्हें उसका अध्यक्ष पद संभालने का मौका मिला। ये आजीवन खादी ग्रामोद्योग संस्थान के अध्यक्ष रहे।

महिला शिक्षा पर काम

जीवन के संघर्ष ने इन्हें शिक्षा के महत्व से परिचित करा दिया था। मां ने शुरुआती दौर में ही शिक्षा के प्रति जो रूचि जगायी थी उसकी वजह से इन्होंने अपने जीवन में महिलाओं की शिक्षा पर और खासकर आदिवासी महिलाओं की शिक्षा पर काम किया। जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में भी इनका योगदान रहा।