रांची (ब्यूरो) । रांची सहित रा'यभर में बिजली की कमी दूर करने के लिए सरकार खुद से उत्पादन करने का प्लान बना रही है। राज्य सरकार की सौर ऊर्जा नीति के अनुसार अगले 5 सालों में झारखंड के 3 दर्जन से अधिक डैम और जलाशय के ऊपर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाना है, इसके तहत 2000 मेगावाट की बिजली का उत्पादन किया जाएगा। लेकिन यह कैसे संभव हो पाएगा, जब रांची के गेतलसूद डैम में बनने वाले 100 मेगावाट के फ्लोटिंग पावर प्लांट पर अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। इसके लिए अभी तक टेंडर भी जारी नहीं किया गया है, सिर्फ कागजों में ही प्रॉसेस हो रहा है। सरकार दूसरे कई डैम पर भी फ्लोटिंग पावर प्लांट लगाने की योजना पर काम कर रही है।

2027 तक बढ़ाना है उत्पादन

सौर ऊर्जा नीति के तहत सभी प्लांट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर लगाए जाएंगे। इसके लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य की सौर ऊर्जा नीति में कई रियासतों की घोषणा भी की गई है। राज्य में वर्ष 2027 तक 5200 करोड़ रुपए निवेश प्राप्त करने का लक्ष्य विभाग में निर्धारित किया गया है। सरकार ने सोलर पॉलिसी में कई ऐसे जलाशयों को चिन्हित किया है, जहां फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाने की संभावनाएं हैं। इसके अलावा कैनाल टॉप सोलर प्लांट लगाने की योजना है। झारखंड में 365 दिन में से लगभग 300 दिन सूरज की रोशनी तेज रहती है, इस लिहाज से यहां सोलर प्लांट की संभावनाएं अधिक हैं।

800 करोड़ खर्च होंगे प्लांट पर

झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा रांची के सिकिदरी स्थित गेतलसूद डैम में वल्र्ड बैंक की मदद से 800 करोड़ की लागत से सोलर पावर प्लांट लगाने का फैसला किया गया था। साल 2020 में ही इसकी प्रक्रिया बढ़ी थी, इसके लिए झारखंड बिजली वितरण निगम और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सेकी के बीच करार भी हुआ था। सेकी को ही प्लांट का निर्माण करना है। रा'य के जल संसाधन विभाग में इसके लिए एनओसी दे दिया है पर आज तक टेंडर भी नहीं निकाला गया है।

अत्याधुनिक होगा फ्लोटिंग सोलर सिस्टम

गेतलसूद डैम में बनने वाला फ्लोटिंग सोलर सिस्टम अत्याधुनिक होगा। जानकारी के अनुसार डैम के बीच में पिलर लगाकर पैनल लगाया जाएगा, जो फ्लोटिंग होगा। यह पानी के लेवल से एक फीट ऊपर होगा। जैसे-जैसे पानी का लेवल बढ़ेगा, सोलर पैनल भी स्प्रिंग के जरिए ऊपर उठता जाएगा। करीब 800 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी सेकी और विश्व बैंक पैसा लगाएंगे।

डेढ़ किमी से अधिक एरिया में

योजना के मुताबिक गेतलसूद डैम के 1.6 वर्ग किमी क्षेत्र का इस्तेमाल होगा, जो पानी के ऊपर होगा। इससे पानी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। डैम में फ्लोटिंग सोलर प्लांट जो पानी की सतह से पर्याप्त ऊंचाई पर होगा, इससे मछली पालन पर असर नहीं आएगा। इससे पहले केरल में फ्लोटिंग सोलर प्लांट का प्रयोग किया जा चुका है। झारखंड में केरल से अलग तकनीक का उपयोग किया जाएगा। केरल में कंक्रीट के एंगल पर सोलर प्लांट स्थापित है। गेतलसूद में तैयार सोलर प्लांट जलस्तर बढऩे पर पानी के बढ़ते दबाव के कारण तकनीक की मदद से खुद-ब-खुद ऊपर उठ जाएंगे।

रेट भी तय है

झारखंड राज्य सोलर पावर पॉलिसी 2022 में इस योजना पर खास ध्यान दिया जा रहा है। जानकारों के अनुसार, सोलर पावर से प्राप्त बिजली की लागत करीब 3.55 रुपए प्रति यूनिट आएगी। वहीं जरेडा की ओर से 31 डैम का सर्वे कार्य पूरा किया जा चुका है। झारखंड रा'य सोलर पावर पॉलिसी 2022 के तहत इन योजनाओं में काम किया जाना है। जिसका रोडमैप तैयार किया जा चुका है। इस कार्ययोजना को मूर्त रूप देने का काम झारखंड रिन्युअल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) की देखरेख में किया जाएगा। सोलर पावर पॉलिसी के तहत राज्य में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बिजली वितरण करनेवाली कंपनियों को वर्ष 2023-24 तक कुल बिजली आपूर्ति का 12.5 प्रतिशत बिजली सौर ऊर्जा से लेना अनिवार्य बनाया गया है।