रांची : कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण फिलहाल डिग्री कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग नहीं होगी। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की गुरुवार को कुलपतियों के साथ ऑनलाइन हुई बैठक में इसपर गहन चर्चा हुई। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी की परिस्थिति में तत्काल इसे अलग करना न्यायसंगत नहीं है। हालांकि यह भी कहा गया कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई डिग्री कॉलेज से अलग करना आवश्यक है, लेकिन विषम परिस्थितियों के कारण जल्दबाजी में इसपर निर्णय नहीं लिया जा सकता। तय हुआ कि भविष्य में इंटरमीडिएट को डिग्री से अलग करने को लेकर शीघ्र ही स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा झारखंड एकेडिमक काउंसिल के साथ अलग से बैठक की जाएगी।

विभावि में बंद था एडमिशन

यूजीसी के निर्देश पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने इस साल डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट में नामांकन लेना बंद कर दिया था। अब डिग्री कॉलेजों में नामांकन जारी रखने को लेकर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा पत्र भेजा जाएगा। बता दें कि राज्य में अभी इंटरमीडिएट कॉलेजों तथा प्लस टू स्कूलों के अलावा डिग्री कॉलेजों में भी इंटरमीडिएट की पढ़ाई हो रही है, जिसे अलग करना है। इधर, राज्यपाल ने बैठक में विश्वविद्यालयों को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग क्रियाशील है, लेकिन अपेक्षित गति से समृद्ध नहीं हो पाया है। जनजाति समुदाय के लोग अपनी भाषा एवं संस्कृति के साथ रहना चाहते हैं। ऐसे में शिक्षा ग्रहण हेतु उनकी भाषा अहम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इन विषयों पर जोर दिया गया है। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थी सिर्फ डिग्री अर्जित न करें। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जनजातीय कला और शिल्प को भी विकसित करते हुए उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दें, ताकि उन्हें रोजगार प्राप्त हो सके। साथ ही वे पारंपरिक उद्योग-धंधे शुरू कर सकें। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में शोध के स्तर को उच्च और व्यापक बनाने का भी निर्देश दिया। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों को हिंदी और अंग्रेजी भाषा की भी शिक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, ताकि उन्हें दूसरे राज्यों व देशों में रोजगार प्राप्त करने में परेशानी न हो।

चांसलर पोर्टल में समस्या

कुलपतियों ने चांसलर पोर्टल के माध्यम से नामांकन हेतु आवेदन में आ रही समस्याओं को भी उठाया। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ। रमेश पांडेय ने बताया कि अभी तक 32 हजार ही आवेदन प्राप्त हो सके हैं। सुदूर इलाके में नेटवर्क की भी समस्या है। इसपर राज्यपाल ने एनआइसी से समन्वय स्थापित कर तकनीकी समस्याओं को दूर करने का निर्देश दिया।

डिग्री में अब रहेगा विषय का नाम

बैठक में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों को प्राप्त होनेवाली डिग्री में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा लिखे होने से आ रही समस्याओं पर भी चर्चा हुई। कुलपतियों ने कहा कि इससे दूसरे कई राज्य डिग्री को मान्यता नहीं दे रहे हैं। तय हुआ कि इसमें अब विषय का नाम जैसे नागपुरी, संथाली आदि लिखा रहेगा।

कुलपतियों ने शिक्षकों की शीघ्र नियुक्ति की उठाई मांग

बैठक में कुलपतियों ने कॉलेजों में जनजातीय भाषा सहित अन्य विषयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की मांग उठाई। इसपर राज्यपाल ने कहा कि उनका प्रयास है कि विश्वविद्यालयों में सृजित पदों पर शीघ्र नियुक्ति हो जाय। इस ऑनलाइन बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव सह उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव शैलेश कुमार सिंह तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल हुए।