रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची होने के नाते यहां लगभग हर छोटे-बड़े विभागों के दफ्तर हैं, जहां से सिर्फ सिटी ही नहीं बल्कि पूरे जिले या यूं कहें कि स्टेट के भी सभी फंक्शन ऑपरेट होते हैं। नगर निगम से लेकर, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेलकूद, अग्निशमन, पर्यावरण समेत अन्य सभी विभागीय ऑफिस रांची के अलग-अलग लोकेशन में स्थित हैं। ऑफिस होने के नाते दफ्तर में कई तरह के एसेट्स, व्हीकल या यूं कहें पब्लिक की प्रॉपर्टी है, जिनकी मदद से जनसेवा की जाती है। लेकिन स्थिति ऐसी है कि इन कार्यालयों में पब्लिक यूज के लिए लाए गए एसेट्स से लेकर व्हीकल तक सभी धूल फांक रहे हैं। अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण ऐसेट््स समय पर इस्तेमाल नहीं हो सके, दिनों दिन ये संपत्ति बर्बाद होती चली गई। इसी के तहत डीजे आईनेक्स्ट के ड्राइव हमारे पैसे की बर्बादी क्यों में आज पढ़ें हेल्थ डिपार्टमेंट में बर्बादी की रिपोर्ट।
एंबुलेंस ही नहीं, मशीन भी बर्बाद
स्वास्थ्य विभाग आम जनों की सेहत से जुड़ा हुआ विभाग है। इसके अधीन हर तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं आती हैं। राज्य का सबसे बड़ा हॉस्पिटल रिम्स हो या फिर सदर, जिला स्तर का अस्पताल हो या फिर प्रखंड स्तर का। हर जगह स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए बेसिक फैसिलिटीज उपलब्ध कराई जाती है। मशीन से लेकर एंबुलेंस भी मौजूद होती हैं। कुछ स्थानों में डॉक्टर और अफसरों के लिए अलग से गाड़ी भी मुहैया कराई जाती है। लेकिन आलम यह है हॉस्पिटल में पड़ी-पड़ी एंबुलेंस कंडम हो गईं। आम नागरिकों को प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ रहा है। रिम्स में लगभग दो दर्जन एंबुलेंस हैं। इनमें चार कार्डियक एंबुलेंस हैं जिसमें वेंटिलेटर समेत तमाम आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद इन एंबुलेंस का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। रिम्स के पार्किंग एरिया में पड़ी-पड़ी ये एंबुलेंस दिनोंदिन कबाड़ होती जा रही हैं।
एंबुलेंस रिपेयरिंग लायक भी नहीं
रिम्स के मॉ'र्यूरी के सामने आधा दर्जन से अधिक ऐसी गाडिय़ां पड़ी हैं जो अब मरम्मत के लायक भी नहीं बची हैं। वहीं नए ट्रॉमा सेंटर के पीछे भी कई गाडिय़ां जंग खा रही हैं। इनमें करीब डेढ़ करोड़ की लागत से खरीदी गई डेंटल वैन भी शामिल है। आम पब्लिक को भले इसकी सुविधा नहीं दी जा रही है, लेकिन वीआईपी मूवमेंट में रिम्स की एंबुलेंस जरूर शामिल होती है। वीआईपी मूवमेंट के बहाने इन एंबुलेंस के मेनटेनेंस के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। सिर्फ रिम्स ही नहीं, बल्कि एनएचएम के पार्किंग एरिया में भी करोड़ो रुपए की एंबुलेंस की खरीदारी कर इसे ऐसे ही बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। इसके अलावा सदर हॉस्पिटल, जिला और प्रखंड अस्पताल, स्वास्थ विभाग कार्यालय में भी स्वास्थ्य संबंधित एसेट्स बर्बाद हो रहे हैं।
कई मशीनें भी फांक रहीं धूल
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल क्या है इसकी बानगी रिम्स में देखने को मिलती है। सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां हेल्थ संबंधी सभी सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन बमुश्किल ही इनका उपयोग हो पाता है। एंबुलेंस के अलावा कई अत्याधुनिक मशीनें भी रिम्स को दी गई हैं, लेकिन कुछ तो कभी उपयोग ही नहीं हुईं तो कुछ खराब हुईं तो फिर दोबारा बनी ही नहीं। रिम्स की सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन साल में दस महीने खराब ही रहती हैं। जिस कारण मरीजों को प्राइवेट में ये टेस्ट कराने पड़ते हैं। इनमें खर्च भी काफी होता है।
90 लाख की सीबीसी मशीन खराब
रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण 90 लाख की दो सीबीसी-5 मशीनें बर्बाद हो गईं। देखरेख के अभाव में सीबीसी की दो मशीनें पहले ही खराब हो चुकी हैं। दोनों मशीनें लैब मेडिसिन और लेब्रोरेटरी में लगाई गई थीं, जिनसे मरीजों का टेस्ट किया जाता था। वहीं एमआरआई की मशीन भी बीते दो महीने से खराब पड़ी है, जिसका खामियाजा धनबाद से इलाज कराने आया सात वर्षीय मासूम राज को उठाना पड़ रहा है। सिर में पानी भर जाने के कारण उसे डॉक्टरों ने एमआरआई रिपोर्ट लाने को कहा है। लेकिन दो महीने के ब'चा और उसके नाना-नानी एमआरआई मशीन ठीक होने का इंतजार रहे हैं। इसके अलावा सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, सीआर मशीन समेत अन्य उपकरण भी साल के छह महीने खराब ही रहते हैं।

ये हैं गाडिय़ां है रिम्स के पास
कार्डियक एंबुलेंस - 4
मॉ'र्यूरी वैन - 6
बड़ी एंबुलेंस - 2
डेंटल वैन - 1

क्या कहते हैं मरीज व उनके अटेंडेंट
रिम्स तक सरकारी एंबुलेंस से मदद मिल जाती है। लेकिन यहां से वापस जाने के लिए 108 की सुविधा नहीं मिलतीं। रिम्स भी एंबुलेंस प्रोवाइड नहीं कराता। इस कारण मजबूर होकर प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है, जो अनाप-शनाप पैसे मांगते हैं।
- रिजवान अंसारी

रिम्स और सदर में जहां एंबुलेंस पड़ी नजर आती है। थोड़ी सी रिपेयरिंग से इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन सरकारी अफसरों की लापरवाही से इसे पूरी तरह सड़ा कर बर्बाद कर दिया जाता है।
- सागर गोराई

सरकार ने कई सुविधाएं दे रखी हैं। लेकिन अधिकारी इन सुविधाओं को आम पब्लिक तक पहुंचने ही नहीं देते। प्राइवेट काम करने वालों से उनकी मिलीभगत होती है, ताकि उनके पास भी मोटा माल पहुंचता रहे।
- नीरज टोप्पो


सिर्फ एंबुलेंस ही नहीं कई सुविधाएं हैं जो आम पब्लिक के लिए हैं। लेकिन उन्हें इससे दूर रखा जाता है। जबकि लोगों के टैक्स के पैसे से ही इन सुविधाओं को बहाल किया जाता है। फिर भी लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पाता।
- विमला देवी


खराब पड़े वाहनों की रिपेयरिंग के लिए परिषद में मुद्दा उठाया गया था। इसके लिए फंड की भी मांग की गई है। फंड मिलते ही खराब वाहनों की रिपेयरिंग करा दी जाएगी।
- कामेश्वर प्रसाद, डायरेक्टर, रिम्स