हेल्थ सेक्रेटरी ने कहा- 65 फीसद मामलों में मरीज खुद या उनके परिवार के अन्य सदस्य गए पड़ोसी राज्य

-- बिहार से कोविड-19 के मरीज भी बेहतर इलाज के प्रयास में झारखंड आए

- लॉकडाउन खत्म होने के बाद लोगों की लापरवाही से भी बढ़ी समस्या

- कोरोना के कुल 4689 सक्रिय मामले में 4050 में कोई लक्षण नहीं

- वर्तमान में अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 58 ही लक्षण के कारण आए

- 23 मरीज ऑक्सीजन तथा 22 वेंटिलेटर सपोर्ट पर

रांची : स्वास्थ्य सचिव डॉ। नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा है कि बिहार-बंगाल के कारण भी झारखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ा है। स्वास्थ्य सचिव ने सोमवार को प्रेसवार्ता में कहा कि कोरोना मरीजों के 65 फीसद मामलों में यह बात सामने आई है कि मरीज खुद या फिर उनके परिवार के कोई सदस्य बिहार या बंगाल गए थे। उन्होंने यहां तक कहा कि बिहार से कोविड-19 के मरीज भी यहां लाए गए, ताकि झारखंड में उनका सही इलाज हो सके। ऐसी घटना आगे न हो, इसके लिए जांच चल रही है। कहा कि राज्य में लॉकडाउन खत्म होने तथा परिवहन खुलने के बाद लोगों की लापरवाही के कारण भी कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ा है। कहा, अभी भी वक्त है, लोग समय रहते संभल जाएं तो कोरोना को नियंत्रण में किया जा सकता है। हालांकि, फिर से लॉकडाउन लागू करने के सवाल पर उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए स्पष्ट कहा कि संक्रमण रोकने का यह उपाय नहीं हो सकता। सावधानी ही इसका बचाव है।

माइल्ड स्टेज में कोरोना

स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, संक्रमण बढ़ने के बावजूद झारखंड में अभी भी कोरोना माइल्ड स्टेज में है। इसी कारण राज्य में 26 जुलाई तक कुल 4689 सक्रिय केस में 4050 में कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं। सिर्फ 58 मरीज ही ऐसे हैं, जिन्होंने लक्षण के कारण जांच कराई तथा अस्पताल पहुंचे। स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, वर्तमान में 23 मरीज ही ऐसे हैं, जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है। वहीं, महज 22 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इनमें 17 जमशेदपुर, चार हजारीबाग तथा एक सरायकेला-खरसावां में हैं। जिन मरीजों को अभी ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है, उनमें दस जमशेदपुर तथा इतने ही रांची में हैं। दो अन्य मरीज साहिबगंज के हैं, जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ रही है।

रिकवरी रेट 44.68 परसेंट

स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, राज्य में रिकवरी रेट 44.68 फीसद है, जो संक्रमण बढ़ने से कम हुआ है। राज्य में मृत्यु दर 1.01 फीसद है, जो राष्ट्रीय दर से काफी कम है। इसके बावजूद यह चिंता का विषय है। उनके अनुसार, कई मामलों में मरीजों के अस्पताल पहुंचने में देरी से उसकी मृत्यु हुई। कहा कि अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीज बीमारी बढ़ने का इंतजार नहीं करें, वे अविलंब पास के अस्पताल में पहुंचें। उनके अनुसार, राज्य में संक्रमण वृद्धि की दर 6.1 फीसद है, जो राष्ट्रीय दर 3.6 फीसद से काफी अधिक है। अभी झारखंड में 11.7 दिनों में मरीज दोगुने हो रहे हैं।

536 होम आइसोलेशन में

राज्य में अभी 536 कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं। इनमें रांची में 196, जमशेदपुर में 69 तथा धनबाद में 42 तथा बाकी अन्य जिलों में हैं। स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, होम आइसोलेशन की अनुमति सिर्फ उन मरीजों को दी जाती है, जिनके पास होम आइसोलेशन में रहने के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं

स्वास्थ्य सचिव ने पिछले माह कराए गए सिरो सर्वे रिपोर्ट के नतीजे के आधार पर कहा कि राज्य में अभी सामुदायिक संक्रमण जैसी कोई बात नहीं है। उनके अनुसार, रांची में 2.24 फीसद तथा अन्य जिलों में एक फीसद से भी कम जांच में एंटीबॉडी मिली है। उन्होंने सिरो सर्वे आगे भी जारी रखने की बात कही, ताकि सामुदायिक संक्रमण का पता चलता रहे।

हजारीबाग, रांची में रेट अधिक

राज्य में सैंपल पॉजिटिविटी रेट 3.3 फीसद है। इससे पता चलता है कि संक्रमण का दायरा बढ़ रहा है। सबसे अधिक पॉजिटिविटी रेट हजारीबाग में 5.66 फीसद तथा रांची में 4.7 फीसद है।

देश में दस लाख पर 11 हजार की हो रही जांच, झारखंड में 6744 :

देश में दस लाख की आबादी पर 11 हजार सैंपल की जांच प्रतिदिन हो रही है। झारखंड में इतनी ही आबादी पर 6744 सैंपल की जांच हो रही है। स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, पांच जिले ऐसे हैं, जहां इतनी आबादी पर पांच हजार सैंपल से कम जांच हो रही है। इनमें बोकारो, चतरा, देवघर, गिरिडीह आदि शामिल हैं। वहीं, सिमडेगा, लोरहदगा, लातेहार आदि में राष्ट्रीय दर से अधिक जांच हो रही है। रांची में दस लाख की आबादी पर 9809 सैंपल की जांच हो रही है। राज्य में जांच की गति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। अभी तक आरटी-पीसीआर के अलावा सभी जिलों में 87 ट्रूनेट मशीनें लगाई गई हैं। शीघ्र ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 100 अतिरिक्त मशीनें लगाई जाएंगी।