- खूंटी में मनरेगा और कठौतिया कोल ब्लाक जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोपों पर हाईकोर्ट में सुनवाई

- एसीबी को प्रतिवादी बनाने और ईडी को जवाब दाखिल करने का आदेश

रांची : खूंटी जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और कठौतिया कोल ब्लाक जमीन आवंटन में गड़बड़ी के मामले में तत्कालीन उपायुक्त पूजा ¨सघल के खिलाफ जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस डा। रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को प्रतिवादी बनाने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने जनहित याचिका दायर करने वाले अरुण कुमार दुबे को नियमों के अनुसार क्रेडेंशियल (पूरा ब्योरा) भी बताने का निर्देश दिया है। इस संबंध में अरुण कुमार दुबे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

मनरेगा में गड़बड़ी की शिकायत

याचिका में खूंटी जिले में मनरेगा की योजनाओं में हुई गड़बड़ी के मामले में तत्कालीन उपायुक्त पूजा ¨सघल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आग्रह किया गया है। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया कि मनरेगा योजनाओं की गड़बड़ी के लिए खूंटी जिले में 16 प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन इसमें एक में भी तत्कालीन उपायुक्त को आरोपित नहीं बनाया गया है। जबकि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत उपायुक्त कार्यक्रम समन्वयक होते हैं। उपायुक्त को योजनाओं के कार्यान्वयन और उसे पूरा होने का प्रमाणपत्र लेने के बाद ही राशि का भुगतान करना होता है। लेकिन, योजनाएं अधूरी रहने के दौरान ही उपायुक्त ने इंजीनियरों को राशि निर्गत कर दी। योजनाएं पूरी हुए बिना ही पूरा भुगतान कर दिया गया। अदालत को बताया गया कि किसी भी मामले में उपायुक्त को आरोपित नहीं बनाया गया। इस मामले के आरोपित इंजीनियर के खिलाफ ईडी जांच भी हुई है। ईडी ने भी इसमें अपनी जांच रिपोर्ट नहीं दी है, लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इस तरह की अनियमितताओं के मामले में सरकार छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई तो करती है, लेकिन जिम्मेवार अधिकारियों पर जांच नहीं होती। अदालत से खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त पूजा ¨सघल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करने का आग्रह अदालत से किया गया है। सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी को अपना पूरा ब्योरा देने तथा एसीबी को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया। अदालत ने चार सप्ताह में ईडी को जवाब दाखिल करने का निर्देश देने के साथ ही सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की।

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