RANCHI: रिम्स को व‌र्ल्ड क्लास हॉस्पिटल बनाने के दावे किए जाते हैं। लेकिन कुछ विभागों में बेसिक सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं। वहीं, कुछ विभागों में तो ताले लटक गए हैं। जी हां, कुछ ऐसी ही हालत इएनटी डिपार्टमेंट की है, जहां न्यू बॉर्न बेबी का हियरिंग लॉस टेस्ट पूरी तरह से बंद हो गया है। नतीजन, टेस्ट के लिए आने वाले बच्चों के पेरेंट्स निराश होकर लौट जा रहे हैं। इस चक्कर में पेरेंट्स को परेशानी हो रही है। साथ ही उन्हें टेस्ट कराने के लिए प्राइवेट सेंटरों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। बताते चलें कि हेल्थ सेक्रेटरी को डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने सेंटर चलाने को लेकर कई बार पत्र लिखा। इसके बावजूद न सेक्रेटरी ने गंभीरता दिखाई और न ही डायरेक्टर ने।

बर्थ से हियरिंग लॉस वालों को दिक्कत

हेल्थ सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए रिम्स में टेस्ट सेंटर बनाया गया था। जहां न्यू बॉर्न बेबी की स्क्रीनिंग की जाती थी। वहीं तीन साल तक के बच्चों का भी हियरिंग लॉस टेस्ट एक्सपर्ट कर रहे थे। इसके बाद बच्चों का ट्रीटमेंट शुरू किया जा रहा था। वहीं 15 बच्चों की स्क्रीनिंग करने के बाद उनका कॉक्लियर इंप्लांट भी किया गया। अब ये बच्चे सुन भी रहे हैं और बात भी कर रहे हैं। लेकिन सेंटर बंद हो जाने से ऐसे बच्चों की परेशानी और बढ़ जाएगी।

हियरिंग कैपासिटी टेस्ट को साउंड प्रूफ रूम तक नहीं

हियरिंग लॉस वाले मरीजों को कई तरह की समस्याएं होती हैं। ऐसे में उनकी बीमारी जानने के लिए ऑडियोमेट्री टेस्ट किया जाता है। जहां किसी भी तरह की आवाज उनके लिए परेशानी बन सकती है। लेकिन रिम्स में आजतक एक साउंड प्रूफ रूम नहीं बन पाया। नजीजन, टेस्ट के बाद भी कई बार हियरिंग एड मशीन से परेशानी हो जाती है। वहीं मशीन को सेट करवाने के लिए मरीजों को हास्पिटल की दौड़ लगानी पड़ती है।