RANCHI : गायत्री की उम्र दस साल है, लेकिन वह आम बच्चों से बिल्कुल अलग है। उसके चेहरा सूज गया था। वह दर्द से हमेशा परेशान रहती थी। उसके मां-बाप भी उसके बचने की आस खो चुके थे। कई जगहों पर डॉक्टरों ने चेकअप के बाद कहा कि गायत्री का बचना मुश्किल है। गायत्री को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है। लेकिन उम्र कम होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाएगा। नाउम्मीद हो चुके पैरेंट्स को एम्स के डॉक्टरों ने उम्मीद दिखाई। एम्स के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि दस साल की बच्ची का ऑपरेशन कर हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। गायत्री अभी एम्स के आईसीयू में है और अपने पैरेंट्स से बात कर रही है। उसकी स्थिति में सुधार हो रहा है।

10 साल की बच्ची यंगेस्ट हार्ट रिसीवर

गायत्री मुंडा जमशेदपुर के गोला की रहने वाली है। बच्ची के पिता बाल कृष्ण और मां हेमा भी बच्ची के साथ एम्स में है। बच्ची का वजन अभी 24 केजी है। गायत्री एम्स की 10 साल की यंगेस्ट हार्ट रिसीवर है। हार्ट ट्रांसप्लांट कोई नई बात नहीं है, लेकिन दस साल की बच्ची का हार्ट ट्रांसप्लांट रेयर होता है। एम्स में पहली बार दस साल की बच्ची का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है। गायत्री का आपरेशन देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

डोनर की उम्र थी चैलेंज

गायत्री का ट्रांसप्लांट करने वाले एम्स के कार्डियोवस्कुलर डिपार्टमेंट के एचओडी और हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ। बलराम ने फोन पर बताया कि गायत्री एम्स की यंगेस्ट हार्ट रिसीवर है। बच्ची का हार्ट फेल हो गया था। बच्ची के पैरेंट्स ट्रांसप्लांट के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि उसकी स्थिति बहुत खराब थी। लेकिन बाद में वो तैयार हो गए। डॉ। बलराम ने बताया कि यह हमारे लिए एक चैलेंज था। डोनर की उम्र 24 साल और उसका वजन 54 किलो था। जबकि गायत्री की उम्र दस साल और वजन 24 किलो था। यह कहीं से भी मैच नहीं कर रहा था। जांच के बाद डॉक्टरों ने दो जनवरी को आपरेशन करने का निर्णय लिया। तीन घंटे आपरेशन के बाद ट्रांसप्लांट पूरा हुआ। अब गायत्री काफी तेजी से रिकवर कर रही है।

150 डॉक्टरों की लगी थी टीम

इस अनोखे हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 150 डॉक्टरों की टीम लगी थी। दिल्ली के ही 24 साल के धमेंद्र यादव की ब्रेनडेथ हो गई थी। 2 जनवरी की रात धमेंद्र की ब्रेनडेथ क्लियर होने के बाद उसका हार्ट निकालकर गायत्री की बॉडी में ट्रांसप्लांट किया गया जो सक्सेसफुल रहा।