- कोकर चौक के पास है पांच एकड़ से ज्यादा जमीन

- वर्ष 1909 व 1929 रिदींद्र नाथ टैगोर ने खरीदी थी जमीन

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में हेमेंद्र नाथ टैगोर की जमीन की जमाबंदी रद करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी हेमेंद्र नाथ टैगोर के अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने अदालत को बताया कि कोकर चौक के पास स्थित जमीन खतियान में फर्जीवाड़ा किया गया है। रिदींद्र नाथ टैगोर ने अपनी मां के नाम पर वर्ष 1909 और वर्ष 1929 में दो डीड से जमीन की खरीदारी की थी। इसके बाद वर्ष 1932 के खतियान में रिदींद्र नाथ टैगोर का नाम जुड़ गया। उक्त जमीन की लगान प्रार्थी के परिवार वाले ही दे रहे थे। जमीदारी प्रथा समाप्त होने के बाद से वर्ष 2012 तक इसी परिवार ने जमीन का लगान जमा किया है। इनके पास वर्ष 1962 में जमीन के सत्यापित प्रति भी है। झारखंड राज्य बनने के बाद खतियान में छेड़छाड़ करते हुए उक्त जमीन पर सुनंदो टैगोर ने अपना दावा किया और आरटीइ से प्राप्त दस्तावेज के आधार पर बरगाईं सीओ के यहां उक्त जमीन पर कब्जे की बात कहते हुए आवेदन दाखिल किया।

गड़बड़ी की आशंका

सीओ ने इस मामले में दस्तावेज में कुछ गड़बडी होने की आशंका जताई। इसके बाद सुनंदो टैगोर ने डीसीएलआर के यहां सीओ के आदेश के खिलाफ आवेदन दाखिल किया। जिसके बाद एलआरडीसी ने हेमेंद्र नाथ टैगोर की जमाबंदी रद कर दिया। अदालत को बताया नियमानुसार वर्षों से चली आ रही जमाबंदी को डीसीएलआर को रद करने का अधिकार नहीं है। वहीं, दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने पर हेमेंद्र नाथ टैगोर ने आपराधिक मामला दर्ज कराया था। इसके बाद प्रतिवादी ने सिविल कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने अदालत में रिपोर्ट दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि उक्त जमीन के कागजात में छेड़छाड़ की गई है। अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने डीसीएलआर के आदेश को निरस्त करने की मांग की। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि हेमेंद्र नाथ टैगोर ने इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बताया जा रहा है कि प्रार्थी र¨वद्र नाथ टैगोर के वंशज हैं।