रांची : सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सोमवार को हरमू से बिरसा चौक तक मानव श्रृंखला में झारखंड आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष प्रभाकर नाग की अगुवाई में समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया। प्रभाकर नाग ने कहा कि झारखंड आदिवासी विकास समिति की मांग है कि झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में सरना धर्म कोड लाने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को अविलंब भेजा जाए। अगले वर्ष 2021 में होनेवाली जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कॉलम अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को राज्य में सरना धर्म बोर्ड की स्थापना करनी चाहिए। धार्मिक अगुवा को राज्यमंत्री का दर्जा मिले और बोर्ड को अलग से बजट आवंटित किया जाए ताकि धर्म, परंपरा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक जमीन की रक्षा, देखभाल एवं साफ-सफाई की जा सके।

नियमित सरना पूजा की जाए

उन्होंने मांग की कि राज्य के मुख्यमंत्री आवास में हर गुरुवार नियमित सरना पूजा की जाए। बौद्ध सर्किट की तर्ज पर सरना सर्किट को विकसित किया जाए जिसमें सिरा सीता नाला काकड़ो लता, मुड़मा जतरा स्थल, लुगू बुरु घंटा बारी, केंद्रीय सरना स्थल सिरोम टोली सहित धार्मिक महत्व के अन्य स्थलों को भी शामिल किया जाए। झारखंड आदिवासी विकास समिति की ओर से पाहनों को मानदेय देने के अलावा सरहुल एवं करम पूजा के अवसर पर छोटी-बड़ी सभी समितियों को सरकार की ओर से 10 हजार रुपए का अनुदान देने की भी मांग की गई। समिति की ओर से कई अन्य मांगें भी सरकार के सामने रखी गई। मानव श्रृंखला में अध्यक्ष प्रभाकर नाग, सांस्कृतिक महासचिव सुखराम पाहन, मुन्ना लकड़ा सहित समिति के अन्य पदाधिकारी शामिल थे।