रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में अवैध हथियारों की तस्करी ही नहीं, बल्कि हथियारों को असेंबल करने का भी काम शुरू हो चुका है। कुछ अरसे पहले बिहार का मुंगेर अवैध हथियार बनाने के लिए जाना जाता था। लेकिन कुछ सालों से यह बिजनेस रांची में भी शिफ्ट हो चुका है। राजधानी रांची में अवैध हथियार की मिनी फैक्ट्री का खुलासा हो चुका है। पहले भी कई बार इसका खुलासा हो चुका है जो यह साबित करता है कि अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रह गया। रांची के नगड़ी, मांडर, पिठोरिया, खूंटी में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा पहले भी हुआ है। दो दिन पहले ही पुलिस ने सांगा गांव में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा किया है। हालांकि, गांव वाले इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन पुलिस का कहना है मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ जिस जगह से हुआ है वहां दो कट्टा और गोली भी बरामद हुए हैं। बहरहाल यह जांच का विषय है। लेकिन जिस तरह से सिटी में अवैध गन बनाने के तार खुल रहे हैं वो रांची को दागदार कर रहा है। राजधानी में सिर्फ मिनी गन फैक्ट्री ही नहीं, बल्कि गन के पाट्र्स लाकर उसे असेंबल करने का भी खुलासा हुआ है। पिस्टल के पाट्र्स अलग-अलग राज्यों से लाए जाते हैं जिसे रांची में असेंबल कर अपराधियों तक पहुंचाया जाता है। डिफरेंट स्थानों से लाए पाट्र्स को हथियार तस्करों का एक्सपर्ट पूरे हथियारों के रूप में बदल कर उसकी डिलीवरी कर देता है।

एक कमरे में फैक्ट्री

पुलिस से बचने के लिए इस कारोबार से जुड़े लोग छोटे-छोटे शहर में अपना ठिकाना बना रहे हैं। हथियारों को असेंबल करने के लिए इन्हें ज्यादा बड़े स्पेस की जरूरत नहीं पड़ती। छोटे-छोटे कमरे में हथियार की फैक्ट्री तैयार हो जाती है। लाइसेंसी हथियार बेचने वाले डीलरों से इस संबंध में बात करने पर पता चला की मिनी गन फैक्ट्री चलाने के लिए किसी बड़े प्लांट की जरूरत नहीं है, बल्कि एक लेथ मशीन लगाकर कट्टा की बैरल, पिस्टल की बैरल और स्प्रिंग तैयार कर ली जाती है। इसके अलावा जो इंटरनल और कीमती पाट्र्स हैं उन्हें अलग से मुंगेर या यूपी से मंगवाया जाता है। रांची में कई ऐसे एक्सपर्ट तैयार हो चुके हैं जो मिनटों में देसी पिस्टल, देसी कट्टा, सिक्सर और कार्बाइन जैसे हथियार तैयार कर लेते हैं। इसके लिए इस अवैध कारोबार से जुड़े लोग मुंगेर जाकर ट्रेनिंग भी लेते हैं। पुलिस की कस्टडी में आए नक्सली तुलसी महतो ने भी इस बात का खुलासा किया है कि नक्सली संगठनों में हथियार के पाट्र्स जोड़कर उसे पूरा हथियार बनाने वाले एक्सपर्ट्स मौजूद हैं। जिनके जरिए हथियारों का निर्माण बड़े आराम से हो जाता है। पीएलएफआई ने खुद की कई हथियार फैक्ट्री भी बना कर रखी है, जहां से बने हथियार राजधानी रांची सहित दूसरे अपराधियों तक भी सप्लाई की जाती है। वहीं खूंटी पुलिस ने कई बार रेड कर पीएलएफआई की हथियार फैक्ट्री को ध्वस्त करते हुए हथियार बनाने के औजार, मरम्मत का सामान भी बरामद किया है। लेकिन इसके बावजूद भी आज पुलिस से चोरी-छिपे गन फैक्ट्री संचालित हो रही है।

दो हजार में देसी कट्टा, 15 हजार में पिस्टल

राजधानी और आसपास के इलाकों में बड़ी आसानी से अवैध हथियार मिल जाते हैं। चंद रुपए खर्च कर आप भी देसी कट्टा, पिस्टल प्राप्त कर सकते हैं। दो से पांच हजार रुपए में देसी कट्टा और 15 से 50 हजार रुपए में नाइन एमएम पिस्टल आसानी से मिल जाती है। सिर्फ अपराध से जुड़े कुछ लोगों से संपर्क करना है और आप अवैध हथियार के मालिक हो सकते हैं। रांची में मो साकिब उर्फ पाव, विजय शर्मा, सद्दाम, मुन्ना साजिद, जाहिद, अविनाश, सिंहजी, राजू, गुलाब, रोहित, सोनू छोटू और अक्षय कुमार नामक अपराधी अवैध हथियार बनाने के जुर्म में जेल में बंद हैं। लेकिन अब भी कई अपराधी बाहर इस धंधे को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी के कोकर, कांके, पिठोरिया, आजाद बस्ती, बुंडू इलाही नगर, अरगोड़ा, मांडर, सिकिदिरी, नगड़ी और रामगढ़ में सक्रिय अपराधी इस अवैध कारोबार में शामिल हैं। पुलिस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में 580 अवैध हथियार बरामद किए गए थे। इस साल अक्टूबर महीने तक 500 से अधिक अवैध आम्र्स जब्त किए जा चुके हैं।