रांची(ब्यूरो)। न सिर्फ राजधानी रांची, बल्कि पूरे राज्य की लाइफलाइन रिम्स में इल्लीगल पार्किंग से मरीजों की जान सांसत में आ गई हैं। दूर-दराज से आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को अवैध पार्किंग की वजह से काफी देर तक गाड़ी में फंसे रहना पड़ता है। जबकि कई बार गंभीर स्थिति में भी मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, जिनके लिए एक-एक सेकंड काफी कीमती होता है। थोड़ी सी लापरवाही से बड़ी घटना घट सकती है। किसी की जान का सवाल होता है लेकिन यहां ठेकेदार और रिम्स कर्मचारी मिल कर अवैध रूप से पार्किंग कराते हैं, जिससे पूरे दिन रिम्स कैंपस में जाम की स्थिति बनी रहती है। एंबुलेंस भी इस जाम में फंस जाती है। गुरुवार को भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली। रिम्स के दूसरे गेट से एंबुलेंस एंट्री तो की लेकिन थोड़ी ही दूरी पर कार और बाइक के पार्क होने से एंबुलेंस को जाम में फंसना पड़ा। हालांकि, एंबुलेंस में गंभीर मरीज नहीं था, अन्यथा कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। रिम्स कैंपस के चारों और अवैध पार्किंग की तस्वीर नजर आती है। कैंपस में एंट्री करते ही अवैध पार्किंग से सामना होता है। कहीं बाइक, कहीं कार, कहीं ऑटो तो कहीं प्राइवेट एंबुलेंस की लाइन लगी रहती है।

नो पार्किंग बोर्ड लगाकर वसूली

रिम्स एंट्री गेट के बाहर ही अवैध रूप से बेखौफ होकर लोकल लोग अवैध पार्किंग का गोरखधंधा कर रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि जिस जगह पर अवैध पार्किंग हो रही है उसी के पीछे नो पार्किंग का बोर्ड लगा हुआ है। जिन-जिन स्थानों पर नो पार्किंग का बोर्ड है उसी स्थान पर बाइक, कार, ऑटो की अवैध पार्किंग कराई जा रही है, और अवैध वसूली भी हो रही है। नो पार्किंग का बोर्ड लगाकर रिम्स प्रबंधन गहरी नींद में सो रहा है। न तो अवैध पार्किंग की जांच होती है और न ही ऐसा कराने वालों पर कभी कोई कार्रवाई होती है। इसमें सिर्फ रिम्स प्रबंधन ही नहीं, बल्कि बरियातू थाने की भी मौन सहमति रहती है। अवैध पार्किंग करा रहे युवकों ने बताया कि जहां-तहां गाड़ी खड़ी रहती है, गाडिय़ों के चोरी होने की भी आशंका बनी रहती है, जिसे देखते हुए बरियातू थाने की और से गाड़ी पार्क कराने को कहा गया है। हालांकि इसके लिए किसी तरह का अनुमति पत्र ठेकेदार के पास नहीं है।

जहां-तहां गाडिय़ां

रिम्स कैंपस में जहां-तहां गाड़ी पार्क रहती हैं। राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल में अपनी पार्किंग तक नहीं है, जिसे जहां मन होता है गाड़ी लगाकर चला जाता है। अवैध पार्किंग के अलावा जैसे-तैसे गाड़ी खड़ी रहने से भी मरीजों को आने में परेशानी होती है। 216 एकड़ में फैले इस पूरे कैंपस में आम पब्लिक के लिए पार्किंग का निर्माण नहीं कराया गया है। रिम्स में सिर्फ झारखंड ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। बड़े-बड़े हॉस्पिटल में जब डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर देते हैं उस केस में भी रिम्स को सफलता मिली है। कई ऐसे केस है जिसमें क्रिटिकल मामले में भी रिम्स को सफलता मिली है। यहां एक से बढ़कर एक्सपर्ट और नई-नई तकनीक मौजूद हैं। लेकिन मैनजेमेंट की यहां भारी कमी है। रिम्स के थर्ड ग्रेड के कर्मचारी से लेकर मैनेजमेंट के पदाधिकारी भी काम में कोताही बरतते हैं। मरीज और उनके परिजनों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं किया जाता है। सिक्योरिटी गार्ड भी परिजनों को डांट कर भगा देते हैं। पैरवीकारों को यहां बेहतर सुविधा मिल जाती है लेकिन आम पब्लिक इलाज के लिए दर-दर भटकते रहते हैं। हॉस्पिटल में बेड के लिए भी मरीज को तरसना पड़ जाता है। इन सब असुविधाओं के बीच पार्किंग की भी समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है।

अवैध पार्किंग में 117 बाइक, 41 फोर व्हीलर, 36 ऑटो

रिम्स की अवैध पार्किंग में 117 बाइक, 41 फोर व्हीलर और 36 ऑटो खड़े मिले। इसके अलावा दर्जनों प्राइवेट एंबुलेंस भी इधर-उधर लगे रहते हैं। हर दिन सैकड़ों गाडिय़ों से अवैध पार्किंग वसूली जाती है। टू व्हीलर से 10 और फोर व्हीलर 20 रुपए लिए जाते हैं। इस हिसाब से यदि देखा जाए तो हर दिन लगभग पांच हजार रुपए की अवैध कमाई पार्किंग से हो रही है। यानी की महीने की आमदनी करीब डेढ़ लाख रुपए है। न तो रिम्स से कोई टेंडर जारी हुआ है और न ही प्रबंधन की ओर से किसी तरह की पार्किंग स्थल का चयन किया गया है। हालांकि, रिम्स में आने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों की गाड़ी के लिए पार्किंग व्यवस्था है, जहां आम पब्लिक अपने वाहनों को पार्क नहीं कर सकती है। इस पूरे मामले पर डीजे आईनेक्स्ट के डायरेक्टर कामेश्वर प्रसाद से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।

रिम्स की ओर से कोई अनुमति नहीं दी गई है। कुछ लोग मनमानी करते हैं। एडमिनिस्ट्रेशन और थाना से बोल कर इसकी जांच करवाई जाएगी।

-दीपेंद्र, पीआरओ, रिम्स