RANCHI: सिटी में पानी की चोरी रुक नहीं रही है। कुछ लोगों को मुफ्त में बिजली और पानी चाहिए, हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो ईमानदारी से चार्ज देकर बिजली, पानी उपयोग करते हैं, लेकिन कुछ लोगों की वजह से अन्य लोगों को भी परेशानी होती है। आंकड़ों के अनुसार शहर में 40 हजार अवैध वाटर कनेक्शन यूजर्स हैं, जिन्हें वैध कराने को लेकर कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन सभी प्रयास फैल साबित हुए। तीन महीने पहले ही नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने सभी अवैध कनेक्शन को वैध करने का आदेश दिया था। इसमें न तो लोगों ने इसमें कोई रुचि दिखाई और न ही नगर निगम के अधिकारियों ने ही इसमे सक्रियता दिखाते हुए अवैध कनेक्शन लेने वालों पर कार्रवाई की। हर दिन लाखों लीटर पानी की चोरी हो जाती है। पानी की चोरी करने वालों में सिर्फ कस्बों और बस्तियों के लोग नहीं, बल्कि बडे़-बड़े होटल, औद्योगिक संस्थान, कॉमर्शियल मॉल से लेकर रेस्टोरेंट और प्रतिष्ठान में भी अवैध कनेक्शन लेकर पानी की चोरी होती है।

आम से खास तक सप्लाई पर निर्भर

गर्मी के मौसम में सिटी के लोगों को पानी की काफी समस्या होती है। वाटर का ग्राउंड लेबल लगातार नीचे जाने से बोरिंग सूखने लगे हैं। एक बड़ा वर्ग सप्लाई वाटर पर निर्भर है, लेकिन सप्लाई भी नियमित नहीं होने पर आम और खास सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पानी के सबसे बड़े सोर्स रुक्का डैम से ही लाखों लीटर पानी की चोरी हो जाती है। लोग पानी की राइजिंग पाइपलाइन में ही जगह-जगह छेद कर अवैध कनेक्शन ले लेते हैं। नतीजन, जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने से पहले ही पानी खत्म हो जाता है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के लिए भी ऐसे लोगों को पकड़ पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

राजस्व की हो रही हानि

अवैध वाटर कनेक्शन की वजह से राजस्व की भी हानि हो रही है। हर महीने लाखों रुपए की चपत वाटर डिपार्टमेंट को लग रही है। इन अवैध कनेक्शन को कैसे वैध किया जाए इस पर डिपार्टमेंट मंथन कर रहा है। अवैध कनेक्शन काट कर उसे वैध करते हुए मीटर लगाने की भी योजना है। जलापूर्ति योजना के फेज वन में सभी अवैध को वैध करने का लक्ष्य रखा गया है। भविष्य में पानी के होने वाले संकट को देखते हुए कई निर्णय लिए गए हैं।

लीकेज से भी बर्बाद होता है पानी

पानी चोरी के अलावा इसकी बर्बादी की एक और बडी समस्या पाइपलाइन में लीकेज होना भी है। लीकेज के कारण हर दिन लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। एक बार लीकेज होने पर इसके मरम्मती में तीन से चार दिन लगा दिया जाता है, जिससे पानी की लगातार बर्बादी होती रहती है। इसके अलावा आम पब्लिक भी पानी बर्बाद करने में पीछे नहीं है। घरों की टंकी भरने के बाद भी पानी नीचे गिरता रहता है। इसके अलावा गाड़ी धोने में भी सप्लाई पानी का उपयोग किया जाता है। अगर इन सभी बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो लाखों लीटर पानी बचाया जा सकता है।