रांची (ब्यूरो): पूजा पंडालों के आसपास 10 रुपए की आइस्क्रीम 20 में, 30 रुपए का छोला-भटूरा 50, 40 रुपए की पाव-भाजी 70 रुपए बिक रही है। मेला घूमने वालों के सामने मजबूरी है। भूख लगने पर क्या सस्ता और क्या महंगा, जो मिले, जितने में मिले खा रहे हैैं। इसी का फायदा फूड स्टॉल लगाने वालों से लेकर खिलौने व दूसरे सामान बेचने वाले उठा रहे हैं।

क्वालिटी का ख्याल नहीं

खाने-पीने की चीजें मंहगी तो बिक ही रहे है, साथ इनमे क्वालिटी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। चाइनीज, साउथ इंडियन से लेकर हर तरह के खाने में मिलावट साफ देखी रही है। रांची के बाजारों में हर तरफ खाने पीने के स्टॉल, लगाए गए है। कहीं चाइनीज तो कहीं पाव भाजी, कहीं भेल पूरी तो कहीं चाट पुछका भी खूब बिक रहा है। लेकिन ज्यादातर स्थानों में मिलावट वाले खाने परोसे जा रहे है।

सेहत हो सकती है खराब

दुर्गा पूजा के दौरान ठेले-खोमचे पर कुछ भी खाना आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वजह साफ है कि मेले को लेकर सडक़ व पंडालों के आसपास ठेला लगाने वालों ने खाने-पीने के सामानों में मिलावट का पूरा इंतजाम रखा है। चाहे चाइनीज आइटम्स हों या मिठाईयां अथवा चाट-समोसा या जलेबी। हर आइटम में मिलावट की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इनके नमूनों की जांच के लिए प्रशासन की ओर से अबतक कोई पहल नहीं की गई है। न तो सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं और न ही दुकानों में बिक रहे मिलावटी सामानों को लेकर छापेमारी की जा रही है।

ठेलेवालों की मौज

फेस्टिव सीजन में ठेले पर चाट-समोसा और चाइनीज फूड आइटम्स बेचने वालों की बहार आ गई है। इस नवरात्र भी पंडालों, सडक़ों व गली-मुहल्लों में हर 10 कदम पर लगने वाले ऐसी दुकानों की भरमार है, जहां खाने-पीने वालों की भीड़ उमड़ रही है। दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में खाने-पीने के सामानों में मिलावट करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी ऐसे फूड आइटम्स को खाने की सोच रहे हैं तो इसमे थोड़ी सावधानी जरूर बरतें। क्योंकि ये आपके सेहत से जुड़ा मसला है। मेलों में सबसे ज्यादा डिमांड छानकर बनाए जाने वाला फूड प्रोडक्ट्स की देखी जा रही है। ठेलों व खोमचे में बनने वाले फूड आइटम्स के लिए जो तेल इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी क्वालिटी काफी घटिया है। नकली तेल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

घातक है सिंथेटिक मावा

मिठाई में सिंथेटिक मावे का खेल किसी से छिपा नहीं है। इस मावे से रसगुल्ले, बर्फी आदि तमाम मिठाइयां तैयार होती हैं। महंगी मिठाई जैसे काजू कतली में भी मिलावट का खेल होने लगा है। सात सौ रुपए किलो तक बिकने वाले काजू कतली में भी काजू की जगह मूंगफली की गिरी की मिलावट देखी जा सकती है। मिठाई बनाने वालों के अनुसार कुछ लोग काजू की जगह मूंगफली की गिरी पीसकर उसमें काजू का एसेंस लगाते हैं और चीनी की चाशनी में इस मिश्रण को मिलाकर काजू कतली तैयार कर बेचते हैं, जिसकी लागत 150 रुपए के करीब बैठती है।

ले सकते हैैं खाने का मजा

सिटी में कुछ होटल और रेस्टोरेंट हैैं जहां आप शुद्ध शाकाहारी भोजन का आनंद ले सकते है। अपर बाजार स्थित चुरुवाला में वेज थाली, राजस्थान कलेवालय, गणगौर, पंजाब स्वीट्स, कावेरी, ये ऐसे कुछ रेस्टोरेंट है जहां आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ होने की संभावना कम है।

बेबस और लाचार है फूड लैब

रांची की एकमात्र फूड लेबोरेटरी बेबस और लाचार है। कभी यहां मशीन तो कभी कर्मचारियों का रोना लगा रहता है। जब ये दोनों होते हैं तो सर्टिफिकेट नहीं देकर इसे अपंग कर दिया जाता है। हालांकि कुछ दिन पहले नामकुम स्थित फूड लैब को एनएबीएल से प्रमाण मिल चुका है, लेकिन समय की कमी के कारण दुकानों में बिकने वाले खाने-पीने के सामानों की कोई जांच नहीं हो पाई है।