कौन है रमेश प्रमाणिक?
मैट्रिक पास 33 वर्षीय रमेश प्रमाणिक वर्ष 2004 में कुंदन पाहन दस्ता में शामिल हुआ था। वह कुंदन पाहन के द्वारा क्रांतिकारी किसान कमिटी(केकेसी) के पद पर काबिज किया गया। वह दस्ते के लिए काम करता रहा। वर्ष 2008 में रमेश पहली बार जेल गया था। जेल से छूटने के बाद फिर कुंदन पाहन के दस्ते में शामिल हो गया था। नौ महीने तक जेल में बंद रहने के बाद जब वह बाहर निकला, तो उसने फिर से दस्ता ज्वाइन कर लिया.  रमेश पर तमाड़ थाना में सीएलए एक्ट, अड़की थाना में अपहरण, लेवी और हत्या व अड़की थाना में ही वर्ष 2010 में एफआईआर दर्ज की गई थी। उसने कहा कि उसने नक्सलियों की नीति से तंग आकर दस्ता छोड़ दिया और खुद सरेंडर करने का फैसला लिया। साथ ही कई अहम जनकारियां भी दी।

नक्सलियों ने किया था अगवा
फ्रांसिस इंदवार को छह उग्रवादियों ने हेम्बोम बाजार से अपहरण कर लिया था। उस वक्त इंस्पेक्टर सादे लिबास में सूचना संग्रह कर रहे थे.  उसी समय उग्रवादियों ने फ्रांसिस का अपहरण कर लिया। उन्हें बाजार से मारते-पीटते पास के ही एक जंगल की ओर ले जाया गया था। बाद में उनकी हत्या कर दी गई।

30 सितंबर, 2009 को इंस्पेक्टर किए गए थे अगवा
स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर 1989 बैच के फ्रांसिस इंदवार 30 सितंबर, 2009 को उस समय अगवा कर लिए गए थे, जब वे सूचना संकलन करने के लिए अड़की एरिया में गए हुए थे। स्पेशल ब्रांच ने दो साल तक उनकी पोस्टिंग उसी एरिया में की थी। मूल रूप से वे गुमला जिले के बसिया थाना क्षेत्र के रहनेवाले थे। फ्रांसिस इंदवार की बॉडी 6 अक्टूबर को अड़की थाना क्षेत्र स्थित राईसा घाटी के पास से मिली थी।

शव के पास मिला था नक्सलियों का पर्चा
नक्सलियों ने इंस्पेक्टर के शव के पास एक पर्चा छोड़ा था। पर्चे में पुलिस इनकांउटर में धनंजय मुंडा और मोती सिंह मुंडा उर्फ महली को मार गिराने और पुलिस दमन के खिलाफ लिए गए बदले का जिक्र था। निवेदक के रूप में एमसीसीआई लिखा हुआ था।

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