रांची (ब्यूरो)। गरीबी के बीच पली-बढ़ी बांस के डंडे और शरीफे के गेंद से हॉकी की शुरुआत कर जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम से खेलते हुए संगीता को रेलवे में सरकारी नौकरी मिली है। अपने गांव पहुंचने के बाद संगीता ने दर्जनभर गरीब छोटे बच्चो के बीच मिठाई भी बांटी। इस दौरान बच्चे गेंद और मिठाई पाकर खुशी से झूम उठे।

किसान की बेटी

कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की प्रतिनिधित्व कर चुकी संगीता कुमारी सिमडेगा जिला के करनागुड़ी नवाटोली के गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले किसान रंजीत मांझी एवं लखमणि देवी की चौथी पुत्री हैं। छह भाई-बहनों में संगीता चौथे नंबर में आती हैं और काफी गरीबी में पल बढ़कर आज अपनी हॉकी की प्रतिभा के बलबूते पर रांची रेलवे में दो माह पहले नौकरी पा चुकी हैं। संगीता के तीन बड़ी बहनें हैं जो पैसे के अभाव के कारण बारी- बारी से सिमडेगा में पढ़ाई करती हैं। एक बहन एक वर्ष घर में काम करती है तो दूसरी बहन सिमडेगा में पढ़ाई करती है। फिर दूसरे वर्ष जो घर में काम करती वो सिमडेगा में पढ़ाई करती हैं और सिमडेगा वाली घर में काम करती है, लेकिन अब संगीता को नौकरी मिल जाने के बाद छोटी-बड़ी सभी बहनों की पढ़ाई में आसानी हो जाएगी।

जूनियर भारतीय टीम में स्ट्राइकर

संगीता करगागुड़ी नवाटोली की पहली सदस्य है जिसे किसी सरकारी नौकरी मिली है। संगीता कुमारी जूनियर भारतीय टीम की स्ट्राइकर हैैं और इस वर्ष अगस्त माह में ही उसकी खेल की प्रतिभा को देखकर रांची रेलवे में उसे नौकरी दी गई है। संगीता बेंगलुरू में चल रहे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की कैंप में शामिल हैं। शुक्रवार को वह अपने गांव पहुंची हैं। संगीता ने कहा कि मैं जब भी घर आती थी तो मेरे गांव के छोटे बच्चों को देखती थी की बांस की जड़ को गेंद बनाकर हॉकी खेलते थे। मैं भी बच्चों में इसी तरह खेलती थी। आज मुझे हॉकी से नौकरी मिली है, इसलिए इन बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा है ताकि इनका भी हॉकी के प्रति लगाव बना रहे। यही सोचकर अपनी पहली सैलरी से इनके लिए हॉकी बॉल लाई हूं। संगीता कहती हैैं कि वो जिस स्कूल से पढ़ी हैैं, वहां के लिए भी कुछ करने की इच्छा है।