रांची: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) का बकाया वसूलने के लिए आरबीआई में राज्य के खाते से 714 करोड़ रुपये काट लिए हैं। केंद्र के इस रवैया से झारखंड सरकार नाराज है और इसका तोड़ अब झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने भी निकाल लिया है। जेबीवीएनएल अब केंद्र सरकार से दो-दो हाथ करने के मूड में आ गया है। डीवीसी द्वारा नोटिस के जवाब में जेबीवीएनएल ने भी अब झारखंड में स्थित केंद्रीय संस्थानों को बकाया भुगतान को लेकर नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। जेबीवीएनएल द्वारा केंद्रीय संस्थानों की सूची तैयारी की गयी है, जहां वर्षो से बकाया है। सूची के अनुसार यूसिल, एचइसी समेत अन्य केंद्रीय संस्थानों पर 1294 करोड़ 45 लाख 93 हजार 804 रुपये का बकाया है। इसकी वसूली के लिए इन संस्थानों को नोटिस भेजा जा रहा है। केंद्र सरकार के उपक्त्रम यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसिल) को भी बकाया भुगतान का नोटिस जेबीवीएनएल ने जारी कर दिया है। यूसिल को कहा गया है कि 23 जनवरी तक बकाया राशि का भुगतान कर दें। ऐसा नहीं होने पर बिजली सेवा ठप कर दी जायेगी। वहीं जेबीवीएनएल ने एचइसी को भी बिल भुगतान करने का नोटिस भेजा है।

इन केंद्रीय संस्थानों पर है बिजली बिल का बकाया

डिस्ट्रिक्ट कमांडेट (डालटेनगंज)

डिविजनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, रेलवे बरवाडीह

सीनियर डिविजनल इंजीनियर इलेक्ट्रिकल, हीरापुर धनबाद

असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट, सेल लाइमस्टोन, भवनाथपुर

द स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, चौपारण

यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, जादूगोड़ा

जेनरल मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) यूसिल, करणडीह जमशेदपुर

द असिस्टेंट इंजीनियर एमइएस, भुरकुंडा

सेक्रेटरी, कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट, एचइसी, रांची

द गैरिसन इंजीनियर, कोकर, रांची

द मैनेजर पावर, एचइसी, रांची

राज्य सरकार की एक ना सुनी

एक दिन पहले ही झारखंड सरकार की ओर से ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी और पत्र लिखकर आरबीआई को कहा था कि मंत्रिपरिषद की ओर से त्रिपक्षीय समझौते से बाहर निकलने का फैसला लिया गया, इसलिए दूसरी किस्त नहीं काटे। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सचिव संजीव एन सहाय की ओर से आरबीआइ गर्वनर को डीओ लेटर लिखा गया था। इसमें कहा था कि त्रिपक्षीय समझौते के अंतर्गत झारखंड सरकार के खाते से डीवीसी का बकाया 2114.18 करोड़ वसूलने के लिए 714 करोड़ काटकर केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दिए जाएं। इस लेटर के बाद आरबीआई की ओर से कार्रवाई की गई है।

पहले भी काटा है पैसा

समझौते की शर्तो के अंतर्गत पहली किस्त अक्तूबर 2020 में 1417.50 करोड़ रुपये काटी गयी थी। इसके बाद जेबीवीएनएल की ओर से बकाया भुगतान नहीं करने पर दूसरी किस्त भी काटने का नोटिस दिया गया था। इसमें 20 दिसंबर तक का समय दिया गया था। लिखे गये लेटर में कहा गया है कि डीवीसी की ओर से जेबीवीएनएल को बिजली की आपूर्ति की जाती है। ये आपूर्ति साल 2015 और 2017 में दोनों के बीच बिजली खरीदने के लिए जो समझौता हुआ था, उसके तहत ही की जाती है। लेकिन जेबीवीएनएल ने जो बिजली खरीदी, उसका नियमित रूप से भुगतान नहीं कर रहा है। इससे 30 नवंबर 2020 तक जेबीवीएनएल पर डीवीसी का टोटल बकाया 4949.56 करोड़ हो गया है, हालांकि झारखंड सरकार इसमें बिना किसी विवाद के 3558.68 करोड़ भुगतान करने पर राजी है। बता दें कि अक्टूबर 2020 में बकाया का किस्त 1417.50 करोड़ काटा जा चुका है और बाकि अमाउंट 2114.18 करोड़ में से 714 करोड़ को तीन किस्तों में काटकर वसूला जायेगा।

हुआ था त्रिपक्षीय समझौता

इस मामले में भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, झारखंड सरकार और आरबीआई के बीच 27 अप्रैल 2017 को त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। ये समझौता खासकर केंद्रीय उपक्त्रमों जैसे कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को पेंमेंट गारंटी के लिए ही किया गया था। इस समझौते के तहत शर्त थी कि जो भी बिल होगा उसकी तारीख से 60 दिन या रिसिप्ट देने के 45 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ तो केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय बकाये रकम को वसूलमने के लिए राज्य सरकार के आरबीआई खाते से पैसे काटने के लिए आरबीआई डीओ लेटर जारी करेगा।

झारखंड हुआ था बाहर

इस मामले में झारखंड मंत्रिपरिषद की 6 जनवरी को बैठक हुई थी। इसमें इस समझौते से झारखंड सरकार की ओर से बाहर निकलने का फैसला लिया गया था। झारखंड सरकार ने बैठक से बाहर होते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, 15वें वित्त आयोग के अलावा संविधान के तहत जो राशि मिलती है, उससे ही बकाये की वसूली की गई। जिससे राज्य के विकास और जनता पर इसका असर पड़ा है। इसके अलावा झारखंड सरकार समझौते को एकतरफा बताते हुए इससे बाहर होने का फैसला लिया था। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 6 जनवरी को ही बकाये की वसूली के लिए लेटर जारी किया था।