रांची(ब्यूरो)। किसी भी व्यक्ति को अगर बेहतर इलाज कराना है तो लोग उसे वेल्लोर जाकर इलाज कराने की सलाह देते हैं। रांची सहित राज्य भर से वेल्लोर जाने के लिए एक ही ट्रेन है एलेप्पी एक्सप्रेस, इसमें भीड़ इतनी अधिक रहती है कि लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इलाज कराने के लिए वेल्लोर जाने वाले लोगों के नाम पर एलेप्पी एक्सप्रेस होती है, लेकिन इस बार एलेप्पी एक्सप्रेस लाभ कमाने के लिए भी लोगों की जुबान पर है।

झारखंड की एंबुलेंस ट्रेन

एलेप्पी एक्सप्रेस को झारखंड की एंबुलेंस ट्रेन के तौर पर भी जाना जाता है। इससे भारी संख्या में रोजाना मरीज व उनके परिजन इलाज कराने तमिलनाडु स्थित सीएमसी वेल्लोर जाते हैं। इस ट्रेन से यात्रा करने के लिए काफी पहले बुकिंग करानी पड़ती है। राज्य के हर जिले से लोग इलाज कराने जाने के लिए इस ट्रेन में टिकट बुक कराते हैं। वेल्लोर जाने के लिए एक ही ट्रेन होने के कारण लोगों के बीच इस ट्रेन की चर्चा हमेशा होती है। धनबाद से खुलने वाली इस ट्रेन से रांची के लोग भी काफी संख्या में इलाज कराने जाते हैं।

कमाई में भी सबसे ऊपर

एलेप्पी एक्सप्रेस यात्रियों से होने वाली आय में धनबाद जोन के टॉप 10 ट्रेनों की सूची में लंबे समय से शुमार है। इसने पार्सल ढुलाई से होनी वाली आय में भी अपना रिकॉर्ड कायम किया है। पार्सल लीज से एलेप्पी एक्सप्रेस को हर ट्रिप 33,200 रुपए की आमदनी होती है, जो इस इलाके में किसी भी ट्रेन की एक ट्रिप की आय से अधिक है। इस तरह रेलवे इस ट्रेन से सालाना 40 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमा रहा है। रेलवे ने आंकड़ा जारी कर इसकी जानकारी दी है।

मछलियों से भी आमदनी

इस जोन की 29 ट्रेनों के पार्सल लीज की आमदनी का आंकड़ा जारी किया गया है। इसके अनुसार पूर्व मध्य रेलवे एलेप्पी एक्सप्रेस की पार्सल बोगी से मछली ढोकर सबसे अधिक मुनाफा कमा रहा है। एलेप्पी की आगे वाली बोगी को लीज पर देकर रेलवे सालाना 40 लाख से अधिक मुनाफा कमा रहा है। एलेप्पी एक्सप्रेस की प्रति ट्रिप का किराया सबसे अधिक है। दूसरे नंबर पर 29,759 रुपए के साथ बरौनी-बांद्रा टर्मिनस एक्सप्रेस है। वहीं, पटना-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस में सबसे कम 4,307 रुपए प्रति ट्रिप आमदनी होती है।

चार टन मछलियां ढोती

धनबाद और आलप्पुला के बीच 2535 किमी चलने वाली एलेप्पी एक्सप्रेस में महज 780 किलोमीटर दूरी के लिए बुकिंग होती है। इस ट्रेन के माध्यम से विशाखापट्टनम से मछलियों की खेप को चेन्नई भेजा जाता है। करीब 3.9 टन मछलियां हर दिन ट्रेन से ढोई जा रही हैं। दरअसल इस ट्रेन में हर दिन विशाखापट्टनम से मछलियां लोड होती है। इसलिए धनबाद से लीज होल्डर सीधे आलप्पुला यानी एलेप्पी के लिए सामान बुक नहीं करता। यहां से विशाखापट्टनम तक की बुकिंग होती है।

यह है खास

-मछली ढोकर सबसे अमीर ट्रेन बनी एलेप्पी एक्सप्रेस

-एलेप्पी एक्सप्रेस को झारखंड का एंबुलेंस ट्रेन माना जाता है।

-यात्रियों से होने वाली आय में टॉप पर रहने वाली यह ट्रेन पार्सल ढुलाई से प्राप्त आय में भी सबसे आगे है

-एलेप्पी एक्सप्रेस को 33,200 रुपए की आमदनी होती है, जो ईसीआर में किसी भी ट्रेन की एक ट्रिप की आय से अधिक है।

-यात्रियों से होनेवाली आय में एलेप्पी एक्सप्रेस पहले से जोन के शीर्ष 10 ट्रेनों में शामिल है।

-एलेप्पी की आगे वाली एसएलआर बोगी को लीज पर देकर रेलवे सालाना 40 लाख रुपए से अधिक कमा रहा है।

इस ट्रेन को चलाने से मुनाफा बढ़ा है। इस ट्रेन में सफर करने वाले लोगों की संख्या बहुत होती है, जिसके कारण क्लोन ट्रेन भी चलाते हैं। लंबी दूरी होने के कारण किराया भी अधिक रहता है, इस कारण यह ट्रेन मुनाफे में है। धनबाद से चलने वाली सभी ट्रेनों में यह सबसे लंबी दूरी की ट्रेन है।

-विरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, धनबाद