रांची : चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर विनय कुमार चौबे ने राज्य के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों में शांतिपूर्ण वोट कराने को बहुत बड़ी उपलब्धि बताई है। शनिवार को वोट संपन्न होने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि पहले चरण की 13 सीटों के 4,892 बूथों में से 4,162 बूथ संवेदनशील और अतिसंवेदनशील थे। ऐसे बूथों में शांतिपूर्ण वोट कराना बड़ी चुनौती थी। इसका श्रेय उन्होंने पुलिस व संबंधित जिला प्रशासन को देते हुए कहा कि शांतिपूर्ण और सुरक्षित वोट संपन्न कराने के लिए आयोग ने कई स्ट्रेटजी तय की थी, जो सफल रही।

दो दिन पहले पहुंचे चुनावकर्मी

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 1,269 चुनाव कर्मियों को दो दिन पहले ही बूथ या कलस्टर तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया था। 203 बूथों के 440 कर्मियों की हेली ड्रापिंग की गई। इसमें चार हेलीकॉप्टर लगाए गए थे। उनके अनुसार, अधिसंख्य बूथों से वोट संपन्न कराकर चुनाव कर्मी वापस लौट गए हैं। कुछ वोट कर्मी कलस्टर में रोके गए हैं। 1,226 बूथों के चुनाव कर्मी रविवार को अपने जिला मुख्यालय में पहुंचाए जाएंगे। इसमें भी पांच हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मौके पर अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कृपा नंद झा, शैलेश कुमार चौरसिया आदि उपस्थित थे।

84.22 परसेंट दिव्यांगों ने किया वोट

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, कुल चिह्नित 49 हजार मतदाताओं में 84.22 फीसद ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। दिव्यांगों की सुविधा के लिए 7,106 स्वयंसेवक तैनात किए गए थे। 2952 व्हील चेयर की व्यवस्था की गई थी। 1,108 दिव्यांगों को बूथ तक लाने तथा उन्हें वापस पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी।

टोकन व्यवस्था फेल, आयोग नाराज

मतदाताओं को लंबी कतारों से बचाने के लिए पहली बार इस विधानसभा चुनाव में वोट में टोकन व्यवस्था किए जाने की योजना फेल हो गई। अधिसंख्य बूथों पर लंबी-लंबी कतारें देखी गई। मतदाताओं को बैठने के लिए कुर्सियों की भी व्यवस्था नहीं की गई थी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इसपर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने स्वीकार किया कि तमाम निर्देश के बावजूद जिला निर्वाची पदाधिकारी इसकी माकूल व्यवस्था नहीं कर सके। उन्होंने अगले चरण के विधानसभा क्षेत्रों में इसकी गहन समीक्षा करने तथा इसे पूरी तरह लागू करने का भरोसा दिलाया।