रांची : झारखंड विधानसभा में लैंड म्यूटेशन बिल अब तक न आया है और न ही आगे आने की संभावना है, लेकिन इस बिल के विरोध में भाजपा विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा काटा और वेल में आकर प्रदर्शन किया। भाजपा विधायकों ने सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन के मसले पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की। परिणाम हुआ कि विधानसभा की पहली पाली हंगामे की भेंट चढ़ गई और प्रश्न काल नहीं चल सका। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा। हालांकि, शोरगुल के बीच सीएजी की रिपोर्ट सदन में पेश की गई और कुछ अन्य विधायी कार्य निपटाए गए।

वेल में आ गए विधायक

सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही भाजपा विधायक वेल में आ गए और प्ले कार्ड लेकर लैंड म्यूटेशन बिल वापस लेना होगा के नारे लगाने शुरू कर दिए। स्पीकर रबींद्रनाथ महतो के समझाने पर कुछ देर के लिए सदस्य अपनी सीट पर गए लेकिन फिर कुछ देर बार वापस वेल में आ गए। यह सिलसिला लगातार बना रहा। नारेबाजी के साथ-साथ तालियां भी पीटी गईं। पहली पाली में कुल पांच बार भाजपा विधायक वेल में धमके और जमकर नारेबाजी की। इस बीच संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा सरकार का पक्ष स्पष्ट करने के बाद भी विपक्ष के तेवर नरम नहीं पड़े। स्पीकर के हस्तक्षेप पर म्यूटेशन बिल पर सरकार की स्थिति को स्पष्ट करते हुए संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने स्वीकारा कि यह बिल कैबिनेट से पारित हुआ था लेकिन बिल सदन में नहीं आया है। जब बिल आया ही नहीं तो चर्चा किस बात की।

उचित निर्णय का भरोसा

वहीं, सहायक पुलिसकर्मियों के मसले पर कहा कि सरकार ने उचित निर्णय का भरोसा दिलाया है। विपक्ष की ओर इशारा कर कहा कि आप लोगों ने ही कहा था कि इनका एक्सटेंशन नहीं हो सकता। लाठीचार्ज पर सवाल उठाया कि पुलिस बल पर पत्थर कैसे चले? वे बात रखने को स्वतंत्र हैं लेकिन पत्थर-गोला कैसे फेंका गया। कहा, सरकार के स्तर से वार्ता कर समाधान निकालने की कोशिश जारी है। लगातार वार्ता की जा रही है। सभी जायज मांगों पर सरकार तैयार है। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री के जवाब से भाजपा विधायक संतुष्ट नहीं हुए और वेल में आकर प्रदर्शन करने लगे।

सरकार का पक्ष

इसके बाद मुख्यमंत्री ने भी सरकार का पक्ष स्प्ष्ट किया। सहायक पुलिस कमियों के मसले पर पिछली सरकार में जारी अधिसूचना को भी स्पीकर के हवाले किया, जिसमें उनके कार्यकाल, मानदेय आदि का ब्योरा दिया गया था। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर स्पीकर ने अनुबंध की शर्तों को पढ़कर सुनाया। जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि स्थायी नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भाजपा की ओर से वरिष्ठ विधायक सीपी सिंह ने मोर्चा संभाला और सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि जनता ने आपको सत्ता सौंपी है। आप रास्ता निकालना चाहते हैं या नहीं। सीपी सिंह के वक्तव्य के दौरान कांग्रेस के विधायकों ने शोरगुल करना शुरू कर दिया। जिससे नाराज सीपी सिंह ने उन्हें चुनौती भी दी। हालांकि स्पीकर ने सीपी सिंह की चुनौती को स्पंज कर दिया। इस बीच आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने भी लैंड म्यूटेशन बिल और सहायक पुलिस कर्मियों का मसले पर सरकार का स्पष्ट रुख जानना चाहा। इसी बीच भाजपा विधायक फिर वेल में आ गए। हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को 12.40 बजे तक स्थगित कर दिया। दोबारा जब कार्यवाही शुरू हुई तो वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने सीएजी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी।