- 90 हजार करोड़ के करीब हो सकता है बजट आकार, आउटकम बजट पेश करेगी सरकार

- राजकोषीय घाटे को सीमा में बांधने की कोशिशों को किया जाएगा लचीला

रांची : झारखंड विधानसभा में बुधवार को पेश होने वाले वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में कोरोना काल की विषम परिस्थिति से उबरने के प्रयास की स्पष्ट झलक देखने को मिलेगी। बजट गांव, गरीब, किसान, महिलाओं, युवाओं, कमजोर और वंचित तबके के इर्द-गिर्द सिमटा दिखाई देगा। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार बजट आकार में करीब चार हजार करोड़ की वृद्धि कर सकती है। चालू वित्तीय वर्ष का बजट आकार 86,370 करोड़ था, इस बार यह 90 हजार करोड़ के आसपास रह सकता है।

संयुक्त एजेंडे की झलक

वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव बुधवार को सदन में जब वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे तो उसमें गठबंधन सरकार के संयुक्त एजेंडे की झलक स्पष्ट देखने को मिलेगी। जीवन और जीविका की चुनौतियों से उबरने के बाबत बजटीय उपबंध किया जाएगा। सरकार कमजोर व वंचित तबके को सीधी मदद मुहैया कराते हुए उनके लिए पेंशन का प्रविधान करेगी तो निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए 75 फीसद आरक्षण का नीतिगत निर्णय ले सकती है।

नियुक्ति वर्ष घोषित

राज्य सरकार ने इस वर्ष को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया है, बजट में इससे जुड़ी घोषणाएं होने की पूरी संभावना है। किसानों के हितों को लेकर छिड़ी बहस को देखते हुए किसानों के लिए ऋण माफी योजना को अगले वित्तीय वर्ष में भी जारी रखे जाने की बात कही जा रही है। हालांकि चालू वित्तीय वर्ष के सापेक्ष इस योजना में कुछ कटौती हो सकती है। इस बाबत 1500 करोड़ का बजटीय प्रविधान किया जा सकता है। आधारभूत संरचना के विकास पर जोर होगा, लेकिन इसे सीमाओं में बांधा जाएगा। अनावश्यक ढांचागत निर्माण की जगह जरूरत पर जोर होगा।

नया टैक्स से परहेज

आउटकम बजट का आधार भी यही है। इसके तहत बकायदा विभागों के लिए किए गए बजटीय प्रविधान और उन योजनाओं का कितना लाभ लोगों को पहुंचा, यह बताने की कोशिश की जाएगी। राजकोषीय घाटे को सीमा में बांधने की कोशिशों को तनिक लचीला किया जाएगा। सीधे शब्दों में समझें तो एफआरबीएम के तहत तय तीन फीसद के मानक को सरकार लांघ सकती है। बजट आकार बढ़ाने के लिए इसे जरूरी माना जा रहा है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार नया टैक्स लगाने से परहेज करेगी।

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