रांची(ब्यूरो)। झारखंड राज्य कृषि उपज व पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 के विरोध में चल रहा राज्यव्यापी आंदोलन चौथे दिन शनिवार को स्थगित हो गया। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख व मुख्यमंत्री के सचिव विनय चौबे के सकारात्मक आश्वासन पर चैंबर ने आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही राज्य भर में पिछले चार दिनों से चल रही ऊहापोह की स्थिति खत्म हो गई है। चैंबर ने कहा है कि सरकार पर पूरा भरोसा है, व्यापार हित की अनदेखी नहीं करेगी।

सीएम के आदेश पर बैठक

व्यापारियों के जारी राज्यव्यापी विरोध के बाद से राज्य में उत्पन्न ऊहापोह की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर झारखंड चैंबर के साथ मुख्यमंत्री आवास में बैठक हुई, जिसमें चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने अपनी बात उनके सामने विस्तार से रखी और मुख्य चिंता इस बात पर व्यक्त की कि विधेयक लागू होने से झारखंड में विकसित हो रहे कृषि कार्य, कृषि आधारित उद्योग, व्यापार और छोटे स्तर के जमीनी स्तर के सब्जी विक्रेता जो कि स्वत: विकास कार्यों में लगे हुए हैं, वे सब प्रभावित होंगे।

विधेयक से भ्रष्टाचार

इस विधेयक के प्रभावी होने के कारण कृषि, कृषि आधारित उद्योगों और व्यापार जगत तथा गरीब-गुरबों के बीच अधिकारियों के भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जाएगा। प्रतिनिधिमण्डल ने स्पष्ट रूप से शुल्क को शून्य करने की बात रखी, जिसपर कृषि मंत्री द्वारा वादा किया गया कि झारखंड चैंबर की सभी मांगों को माना जाएगा। बिना चैंबर की सहमति के विधेयक की नियमावली नहीं बनाई जाएगी। कृषि मंत्री व मुख्यमंत्री के सचिव ने कहा कि राइस मिल्स और इससे जुडे कारोबारियों पर कोई कुप्रभाव नहीं पडेगा, इसका भी सरकार ध्यान रखेगी। साथ ही उन्होंने राज्य में अधिकाधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए फेडरेशन से आवश्यक सहयोग का आग्रह किया।

समन्वय कमिटी ने किया था आग्रह

इस बैठक से पूर्व हुई झारखण्ड मुक्ति मोर्चा सेंट्रल कमिटी की समन्वय समिति की बैठक में भी व्यापारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए सदस्यों ने माननीय मुख्यमंत्री को अपना ज्ञापन सौंपा और व्यापारियों की मांग पर विचार का आग्रह किया गया। समन्वय समिति ने झारखण्ड चैंबर के साथ भी बैठक कर आंदोलन को स्थगित करने का आग्रह किया। मौके पर समन्वय समिति के अध्यक्ष बिनोद पांडे, माननीय मंत्री आलमगीर आलम, कृषि मंत्री, कुमार राजा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर उपस्थित थे।

वार्ता के बाद चैंबर भवन में बैठक

कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री के सचिव के साथ संपन्न हुई वार्ता के बाद चैंबर भवन में झारखण्ड चैम्बर द्वारा खाद्यान्न व्यापारियों के साथ बैठक की गई, जिसपर व्यापारियों ने कृषि मंत्री के आश्वासन पर आंदोलन को स्थगित करने की सहमति दी। बैठक के बीच में ही कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष कुमार राजा ने उपस्थित होकर झारखण्ड चैंबर से इस आंदोलन को स्थगित करने के लिए कृषि मंत्री की ओर से आभार जताया। मौके पर ही महागामा विधायिका दीपिका पांडे सिंह ने भी चैंबर पदाधिकारियों को फोन करके, आंदोलन स्थगित करने का आग्रह किया। यह भी वायदा किया कि कृषि शुल्क को शून्य कराने में वे झारखण्ड चैंबर का सहयोग करेंगी।

राज्यभर के व्यवसायी

इसके बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पूरे प्रदेश के व्यवसायिक संगठन, जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स, खाद्यान्न व्यवसायियों तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुडे व्यापारियों के साथ कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री के सचिव के आग्रह पर विस्तार से चर्चा की गई। चर्चाओं के उपरांत सर्वसम्मति से राज्यव्यापी खाद्यान्न व्यापार अनिश्चितकालीन बंद के निर्णय को स्थगित करने की सहमति बनाई गई। यह भी कहा गया कि सरकार हमारे हितों की रक्षा करेगी यह अच्छी बात है। यदि किसी भी प्रकार का निर्णय व्यवसाय, उद्येाग या किसान के अहित में आयेगा तो यह आंदोलन सिर्फ स्थगित किया गया है, समाप्त नहीं किया गया है। हम पुन: आंदोलन के लिए विवश होंगे।

मंत्री संग वार्ता में शामिल

कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री के सचिव के साथ संपन्न वार्ता में झारखण्ड चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, प्रवीण जैन छाबडा और रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी शामिल थे। सुबह में अपर बाजार में भी प्रतिष्ठान बंद रख कर व्यापारियों ने विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किया। इस अवसर पर चैम्बर उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, सह सचिव शैलेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा के अलावा इस आंदोलन को समर्थन दे रहे विभिन्न व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।