रांची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा। रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में गुरुवार को रांची के बड़ा तालाब सहित अन्य जलस्त्रोतों में हुए अतिक्रमण के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने नगर निगम और राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब को असंतोषजनक बताया। अदालत ने सरकार और नगर निगम से पूछा है कि 30 साल पहले रांची में कितने जलस्त्रोत थे और कितनी हरियाली थी। वर्तमान में कितने जलस्त्रोत बचे हैं और अभी उनकी स्थिति कैसी है। अदालत ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई चार मार्च को निर्धारित की है।

हटाया जा रहा एन्क्रोचमेंट

गुरुवार को सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से बताया गया कि रांची के जलस्त्रोतों से अतिक्रमण हटाया जा रहा है। अतिक्रमण करने वाले लोगों को नोटिस भी दिया गया है। अदालत इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और कहा कि जिन ¨बदु्ओं पर नगर निगम से जवाब मांगा गया था, उसके अनुसार जवाब नहीं है। निगम ने 30 साल पहले रांची में कितने जलाशय थे, इसकी जानकारी नहीं दी है। इस पर निगम की ओर से कहा गया कि 30 साल पहले रांची में 14 जलाशय थे और आज भी उतने ही हैं। सरकार की ओर से कहा गया कि फिलहाल इसकी सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती। रांची नगर निगम के पास वर्ष 1928 का नक्शा है। नक्शा देखकर ही सटीक जानकारी दी जा सकती है।

वादी को सुरक्षा देने का आदेश

सुनवाई के दौरान जनहित याचिका दाखिल करने वाली अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने के लिए आम लोगों को जो नोटिस दिया जा रहा है, उसमें उनके नाम से दाखिल जनहित याचिका का जिक्र किया गया है। हाई कोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है। नोटिस में सिर्फ उनका नाम दिए जाने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है। कई लोग फोन कर रहे हैं। इस पर अदालत ने रांची जिला प्रशासन से अधिवक्ता को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस दौरान कहा कि क्या नगर निगम को खुद से कार्रवाई करने में डर लग रहा है, जो वादी के नाम का सहारा ले रही है। नगर निगम अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस देने में सक्षम प्राधिकार है। वादी को ओर से यह भी कहा गया कि नगर निगम की ओर से बडा तालाब के पास टो जोन घोषित किया गया है, लेकिन अभी भी वहां पर बड़े वाहन खड़े किए जा रहे हैं।