- हाई कोर्ट ने कहा- रिक्ति वर्ष से मिलेगी प्रोन्नति

- सरकार ने दी थी योगदान देने की तिथि से प्रोन्नति

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में एएमआइई डिग्रीधारक कनीय अभियंता को प्रोन्नति देने के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने पटना हाई कोर्ट के एक आदेश को आधार बनाते हुए प्रार्थी अरुण सिंह को वेकेंसी की तिथि से प्रोन्नति देने का निर्देश दिया। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में सहायक अभियंता अरूण कुमार सिंह की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि कनीय अभियंता की नियुक्ति से पहले उन्होंने एएमआइई डिग्री हासिल की थी। सेवा के पांच साल पूरा होने पर वह एएमआइई कोटे से प्रोन्नति के हकदार थे। सहायक अभियंता के पद प्रोन्नति के लिए एएमआइई डिग्री वालों के लिए दस प्रतिशत कोटा निर्धारित है।

पूर्व के वेतनमान पर

वर्ष 2002 में उन्हें सहायक अभियंता के पद पर उनके पूर्व के वेतनमान पर पदस्थापित किया गया। प्रोन्नति के लिए नौ मई 2006 को डीपीसी की बैठक हुई। इसमें प्रार्थी अरुण सिंह को रिक्ति की तिथि वर्ष 2002 से प्रोन्नति देने की सिफारिश की गई। लेकिन विभाग ने प्रार्थियों को 15 जनवरी 2007 को योगदान की तिथि से प्रोन्नति दी। इसके खिलाफ प्रार्थियों ने हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल की।

समिति की सिफारिश

प्रार्थियों के अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत को बताया कि सरकार का योगदान देने की तिथि से प्रोन्नति देने का आदेश गलत है, क्योंकि विभागीय प्रोन्नति समिति ने रिक्ति की तिथि से प्रोन्नति की सिफारिश की है। इसलिए उन्हें वर्ष 2002 से ही इसका लाभ मिलना चाहिए। जबकि सरकार का कहना है कि रिक्ति की तिथि से उन कनीय अभियंताओं को प्रोन्नति दिया जाएगा जो सेवा में रहते हुए एएमआइई की डिग्री हासिल किए हैं। सेवा से पहले डिग्री हासिल करने वालों को इसका लाभ नहीं दिया जा सकता। प्रार्थी ने डिग्री पहले हासिल की है और इसके बाद योगदान दिया है। इस कारण उन्हें योगदान की तिथि से ही प्रोन्नति का लाभ मिलेगा। दोनों पक्षों के सुनने के बाद अदालत सरकार को 22 जुलाई 1998 के उस नियमावली का हवाला देते हुए प्रार्थियों को रिक्ति की तिथि से प्रोन्नति देने का निर्देश दिया। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पदोन्नति रिक्ति की तिथि से दी जाएगी। सेवा में आने से पहले और सेवा के दौरान एएमआइई डिग्री लेने वालों के बीच किसी प्रकार का अंतर नहीं किया गया है। अदालत ने पटना हाई कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया जिसमें वर्ष 2002 से प्रोन्नति देने का आदेश दिया गया है।

रजिस्ट्रार नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल से मांगा जवाब

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा। एसएन पाठक की अदालत में नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्ति के विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी। इस संबंध में विजय लक्ष्मी एस ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर विज्ञापन को चुनौती दी है।

मार्च में विज्ञापन

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कुमारी सुगंधा ने अदालत को बताया कि मार्च 2021 में नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल की ओर से रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन में इस पद के लिए अधिकतम उम्र 60 वर्ष रखी गई है। जबकि नियमानुसार उक्त पद के लिए अधिकतम उम्र 58 वर्ष होना चाहिए। इस मामले में पूर्व में हाई कोर्ट ने उम्र और शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण किया है। इसमें भी अधिकतम उम्र 58 वर्ष माना गया है। सुनवाई के दौरान बताया गया कि इस मामले की सुनवाई लंबित रहने के दौरान काउंसिल की ओर से रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति भी कर दी गई है। इस पर अदालत ने काउंसिल से जवाब मांगा है कि जब यह मामले में सुनवाई चल रही थी, तो इस पद पर नियुक्ति कैसे कर ली गई। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को निर्धारित की है।