रांची: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में धनबाद के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि रांची एफएसएल ने ब्लड एवं यूरिन टेस्ट की सुविधा नहीं होने का हवाला देकर आरोपितों की सैंपल को लौटा दिया था। अदालत ने कहा कि रांची एफएसएल में ऐसी सुविधा नहीं होना शर्मनाक और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

अगली सुनवाई में होंगे पेश

इसके बाद अदालत ने गृह सचिव और एफएसएल के निदेशक को अदालत में अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी। अदालत ने निदेशक से पूछा कि लैब में कौन-कौन सी जांच की सुविधा उपलब्ध है, किसकी नहीं है। केंद्र में कितने पद रिक्त हैं और कितने स्वीकृत पद हैं। क्या सुविधा को बढ़ाने के लिए कोई कदम उठाया गया है। इसकी पूरी जानकारी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बतानी है।

प्रथम ²ष्टया हमले से मौत: कोर्ट

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखने से प्रथम²ष्टया लगता है कि जज उत्तम आनंद को आटो चालक के पास बैठे व्यक्ति ने किसी हथियार से उन्हें मारा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि जज के सिर के दाहिने भाग में डेढ़ इंच का घाव है, जो बिना किसी हथियार के संभव नहीं है। क्योंकि आटो के साइड मिरर की पहुंच सिर तक नहीं हो सकती है और सबसे पहले मिरर कंधे या हाथ से टकराता। इसलिए सीबीआइ को इस पहलू पर भी सघनता से जांच करनी चाहिए। इस दौरान अदालत ने दो बार सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में चलाकर जांच पदाधिकारी को दिखाया और इस पर सबूत जुटाने का आदेश दिया।

मिरर सिर तक नहीं

अदालत ने कहा कि आटो के साइड मिरर की पहुंच सिर तक नहीं है। इसलिए इसे हिट एंड रन केस नहीं कहा जा सकता है। सीबीआइ को स्पष्ट समझना चाहिए कि जज को मारने के लिए किसी हथियार का इस्तेमाल किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सिर पर गंभीर चोट लगने से ही मौत की बात सामने आई है। सीबीआइ को इस एंगल की जांच जरूर करनी चाहिए। नहीं तो इसकी जांच गलत दिशा में जा सकती है। अदालत ने कहा कि इस मामले में उपचार करने वाले चिकित्सक ने सही समय पर पुलिस को सूचित नहीं किया और पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज करने में देरी की है। अदालत इसके लिए भी जिम्मेदारी तय करेगी।

एफएसएल ने लौटाया सैंपल

सीबीआइ की ओर से कोर्ट में दाखिल जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना में पकड़े गए दोनों आरोपितों की ब्लड और यूरिन सैंपल रांची एफएसएल केंद्र जांच के लिए भेजा गया था। लेकिन लैब ने यह कहते हुए सैंपल को लौटा दिया कि उनके पास इसकी जांच करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने कहा सरकार का हर तंत्र मजबूत होना चाहिए नहीं, तो व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। अदालत ने आगाह करते हुए कहा कि यही सही समय है कि सरकार अपने सभी तंत्र को दुरुस्त कर ले।

धनबाद के न्यायिक पदाधिकारियों को मिले अतिरिक्त सुरक्षा : कोर्ट

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अब राज्य की अदालतों की सुरक्षा के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। ऐसे में अब कोर्ट इस मामले में कोई निर्देश जारी नहीं करेगी, लेकिन धनबाद में इतनी बड़ी घटना हुई है, तो वहां के न्यायिक पदाधिकारियों को अतिरिक्त सुरक्षा मिलनी चाहिए। ताकि न्यायिक पदाधिकारियों को अपनी सरकार पर भरोसा रहे और वे बिना किसी दबाव या भय के काम कर सकें।

यह है मामला

धनबाद के जज उत्तम आनंद मार्निंग वाक के लिए निकले थे। इसी दौरान एक आटो ने उन्हें पीछे से धक्का मारकर फरार हो गया। इस मामले में धनबाद के प्रधान जिला जज के पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही है।