रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में अबतक पुरुष जवान ही ट्रैफिक व्यवस्था संभालते आए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में यह जिम्मेवारी अब महिला पुलिस भी संभालती नजर आएगी। इसके लिए जैप-1 की महिलाओं को ट्रेंड किया जा रहा है। एक हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद महिला जवानों को राजधानी के विभिन्न चौक-चौराहों पर तैनात कर दिया जाएगा। इसके लिए 80 महिला जवानों को ट्रेनिंग दी जा रही है। चालान काटने से लेकर ट्रैफिक संबंधी अन्य नियमों की जानकारी महिला जवानों को दी जा रही है। ये महिला जवान सिर्फ ट्रैफिक ही नहीं संभालेंगी बल्कि स्कूल कॉलेज के पास अड्डेबाजी करने वाले शोहदों की भी खबर लेंगी। अक्सर स्कूल-कॉलेज के समीप मजनुओं द्वारा गर्ल स्टूडेंट्स के साथ छेड़खानी और फब्तियां कसने की शिकायतें आती रहती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्कूल कॉलेज के पास तैनात महिला जवान मजनुओं को सबक सिखाएंगी। साथ ही शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास होने वाली अड्डेबाजी पर भी लगाम कसेंगी

होमगार्ड जवान भी लगेंगे

राजधानी रांची में हर दिन लोगों को जाम की समस्या झेलनी पड़ रही है। सड़क पर गाडिय़ों का लोड काफी ज्यादा बढ़ गया है। ट्रैफिक स्मूद करने की जिम्मेवारी ट्रैफिक पुलिस की है, लेकिन वाहनों का लोड इतना अधिक बढ़ गया है कि पुलिस से भी यह नहीं संभल रहा है। सिटी में फिलहाल 250 जवान ही ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं। लेकिन जल्द ही इसमें भी इजाफा होने वाला है। ट्रैफिक एसपी एचबी जमां ने बताया कि जाम को देखते हुए मुख्यालय से जवानों की डिमांड की गई थी। करीब 150 जवान ट्रैफिक विभाग को मिले हैं। इनमें जैप 10 की एक कंपनी महिला बटालियन तथा 70 होमगार्ड के जवान शामिल हैं। राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था की जिम्मेवारी महिला और होमगार्ड जवानों के कंधों पर होगी। 150 जवानों को जल्द ही ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद सभी को शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर तैनात किया जाएगा। पुलिस कर्मियों की भारी कमी से जूझ रहा है विभाग। शहर में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए 700 जवानों की जरूरत है। लेकिन सिर्फ 250 जवानों ही व्यवस्था संभाल रहे हैं। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 400 जवानों की तैनाती होगी। इससे काफी हद तक ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में मदद मिलेगी।

दो दशक में कुछ खास नहीं

सिटी की ट्रैफिक समस्या कोई नई नहीं है। राजधानी बनने केबाद से ही यहां ट्रैफिक की प्रॉब्लम बढऩे लगी है। अबतक सुधार की दिशा में कोई सकारात्मक काम नहीं हुए हैं। हालांकि बीच-बीच में कुछ पहल जरूर की गई, लेकिन सब फेल ही साबित हुए हैं। सड़क की स्थिति आज भी वैसी है जो 22 साल पहले थी। न सड़कों का चौड़ीकरण हुआ और न ही नई सड़क का निर्माण किया गया। लेकिन इन 22 सालों में सड़क पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ है। वाहनों की वजह से ही सड़क पर जाम की समस्या उत्पन्न हुई है। ट्रैफिक स्मूद करने की जिम्मेवारी ट्रैफिक पुलिस की रहती है। लेकिन इनकी संख्या कम होने से प्रमुख चौराहों पर ही ये नजर आते हैं। वहीं पोस्ट पर भी तीन या चार पुलिस कर्मी ड्यूटी पर होते हैं।

ढंग का ट्रैफिक पोस्ट भी नहीं

सिटी में कई वर्षों से ट्रैफिक पोस्ट की समस्या बनी हुई है। कई बार इनके लिए ढंग के पोस्ट बनाने की योजना बनी, लेकिन सभी ठंडे बस्ते में चली गईं। किसी तरह तिरपाल, बैनर और फ्लैक्स की मदद से झोपड़ीनुमा पोस्ट बना कर पुलिस कर्मी यहां रेस्ट करते हैं। रांची के ट्रैफिक पोस्ट बेंगलुरु की तर्ज पर स्मार्ट बनाने का दावा किया गया था। लेकिन यह भी हवा-हवाई ही साबित हुआ। राजधानी स्थित करीब 102 टै्रफिक पोस्ट हैं, सभी की हालत बदहाल है। ट्रैफिक बूथ पर एक शौचालय तक नहीं है। ऐसे में यदि महिला पुलिस कर्मी को ड्यूटी दी जाती है तो उन्हें भी समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा।

सिटी में वाहनों का लोड का काफी ज्यादा है। यहां पर्याप्त पुलिस बल नहीं है। हालांकि, मुख्यालय से अतिरिक्त जवान उपलब्ध कराए गए हैं। उनकी ट्रेनिंग के बाद ट्रैफिक ड्यूटी ली जाएगी। इसमें महिला-पुरुष दोनों शामिल हैं।

-हारिश बिन जमां, ट्रैफिक एसपी, रांची