- डोरंडा कोषागार मामले में लातेहार के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ। सतीश प्रसाद ने दी गवाही

- लालू प्रसाद, डॉ आरके राणा, बेक जूलियस सहित अन्य आरोपी हुए हाजिर

रांची : चारा घोटाला में अधिकारियों ने संबंधित जिला व प्रखंडों में बगैर पशुचारे की आपूर्ति के विभाग के निचले अधिकारियों से जबरन प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर करवा लिया था। हस्ताक्षर करवाकर उच्चपदस्थ अधिकारियों ने करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया। चारा आपूर्ति की योजना नहीं होने और भंडारण आदि की सुविधा नहीं होने के बावजूद फर्जी तरीके से रसीद बनवाते और विभाग से पैसा पास कराकर अपनी जेब गर्म करने की फर्जीवाड़ा करते रहे। यह सब बातें सीबीआइ के गवाही में सामने आ रही है। डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में मंगलवार को लातेहार के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ। सतीश प्रसाद ने गवाही दी। वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में डॉ। सतीश की गवाही दर्ज कराई।

सीबीआई के 454वें गवाह

वह सीबीआइ की ओर से 454 वें गवाह के रूप में उपस्थित हुए थे। गवाही के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, डॉ। आरके राणा, बेक जूलियस सहित दर्जन भर आरोपी अदालत में उपस्थित हुए थे। आरोपियों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से सीबीआइ कोर्ट लाया गया था।

लातेहार में थे कार्यरत

बीएमपी सिंह ने बताया कि डॉ। सतीश 1992 से 95 के बीच लातेहार प्रखंड में कार्यरत थे। उस अवधि में पशुपालन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने बिना आपूर्ति किए दबाव डालकर, नौकरी की धमकी देते हुए 121 हजार क्विंटल पशु खाद्यान्न से संबंधित आपूर्ति रसीद पर हस्ताक्षर करा लिया। गवाही के दौरान डॉ। सतीश ने बताया कि तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी वीएन शर्मा व चलंत पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ। प्रभात कुमार द्वारा 22 हजार क्विंटल पीली मक्का व 31,500 क्विंटल चिनिया बादाम खल्ली के रसीद पर हस्ताक्षर कराया गया। पदाधिकारियों ने इसके लिए दबाव बनाया।

नौकरी करना है तो साइन करो

हस्ताक्षर नहीं करने की स्थिति में पदाधिकारियों द्वारा कहा जाता था कि नौकरी करना है तो प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर करो। ऊपर के पदाधिकारी का मौखिक आदेश है। जब पदाधिकारियों को बताया गया कि पशु खाद्यान्न के वितरण का कोई योजना नहीं है और न ही हमारे प्रखंड में भंडारण की सुविधा है तो भी धमकी व चेतावनी दी गई। वर्ष 1993-94 में 18 हजार 400 क्विंटल पीली मक्का की प्राप्ति रसीद पलामू जिले के तत्कालीन पशुपालन पदाधिकारी डॉ। कामेश्वर सहाय व चलंत पशुपालन पदाधिकारी डॉ। प्रभात कुमार के दबाव में करना पड़ा। 1995 में तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी दुधनाथ पांडेय द्वारा भी दबाव देकर 50 हजार क्विंटल पीली मक्का की प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराकर लिया गया। गवाही के दौरान डॉ। सतीश ने कहा कि वे नौकरी जाने के भय से रसीद पर हस्ताक्षर करते रहे। उन्होंने पूर्व में धारा-164 के तहत दिए बयान में भी उक्त सभी बातें बताने की जानकारी न्यायालय को दी। उन्होंने पूर्व में दिए बयान के कॉपी का पहचान किया और उसे सत्यापित किया। गवाह से आरोपियों की ओर से जिरह भी किया गया। बीएमपी सिंह ने बताया कि मामले में पलामू जिला स्थित हरिहरगंज के तत्कालीन प्रखंड पशुपालन चिकित्सा पदाधिकारी को भी समन जारी था, लेकिन उनके समन का तामिला नहीं हो पाया। समन का तामिला कराने गए सीबीआइ टीम को पता चला कि उनका निधन हो गया है। अदालत में उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया गया। मामले की सुनवाई बुधवार को भी होगी।

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दुमका मामले में वीसी से पेश हुए लालू

दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद व जेल में बंद अन्य आरोपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में पेश हुए। मामले में बचाव की ओर से बहस हुई। इस मामले की सुनवाई भी बुधवार को है।