रांची: अब जमीन किसी का और कागज किसी का, ये सब नहीं चलने वाला है। जी हां, भू-राजस्व विभाग ने जमीन की डीड ऑनलाइन देखने की सुविधा बंद कर दी है, जिससे जमीन का फर्जीवाड़ा करने वाले लोग कागज देखकर उसमें फेरबदल कर देते थे। अब जो नई पॉलिसी आने वाली है, उसमें पैसा देकर ही डीड देखा जा सकेगा। इससे सरकार के पास जमीन की डीड देखनेवाले का डेटा रहेगा और उसी से पता चल सकेगा कि इसने डीड देखी है और अब फर्जीवाड़ा कर रहा है। इससे जमीन के फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी। इसको लेकर नई पॉलिसी बनाई जा रही है, तब तक ऑनलाइन डीड देखने की सुविधा बंद ही रहेगी।

अब पैसा देना होगा

अब तक किसी भी जमीन का कागज देखने के लिए लोग खाता नंबर, प्लाट नंबर डालकर जमीन का पूरा डिटेल देख लेते थे। इसके लिए लोगों को कोई पैसा नहीं देना होता था, कहीं से भी जमीन की जानकारी लोगों को मिल जाती थी, उसका डिटेल्स लेकर घर से ही दूसरे की जमीन के कागज को निकाल लेते थे। लेकिन अब किसी भी जमीन का डिटेल्स देखने के लिए लोगों को पैसा खर्च करना होगा। भू-राजस्व विभाग द्वारा जो नई नीति बनाई जा रही है, उसमें यह तय किया जाएगा कि कितना पैसा खर्च कर जमीन का पेपर देख सकते हैं।

रुकेगी जमीन की हेराफेरी

ऑनलाइन प्लेटफार्म पर जमीन का कागजात उपलब्ध रहने के कारण जमीन की हेराफेरी शुरू हो गई थी, इसलिए सरकार ने इसे तत्काल बंद किया है। जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े बिचौलियों, भू-माफि या द्वारा एक ही जमीन को कई खरीदारों से बेच दिये जाने के कारण आए दिन विवाद होते रहता है। खासकर पुरानी जमीन जिनका दस्तावेज डिजिटल प्लेटफ ार्म पर उपलब्ध है। वे लोग जमीन का गलत कागज ना तैयार करें, कैसे इस पर रोक लगाया जा सकता है, इस पर सरकार काम कर रही है।

नई व्यवस्था तक रोक रहेगी

भू-राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आये दिन जमीन की हेराफेरी की शिकायत मिल रही थी। ऑनलाइन जमीन का कागज उपलब्ध होने के कारण लोग इसका गलत फायदा उठा रहे थे। अब राज्य सरकार इस पर काम कर रही है कि कैसे सुरक्षित किया जाए ताकि गलत व्यक्ति ऑनलाइन प्लेटफार्म पर जो कागज उपलब्ध है, उसका इस्तेमाल गलत ना कर सके। जब तक नई व्यवस्था उपलब्ध नहीं होती है तब तक ऑनलाइन पेपर देखना बंद रहेगा।

1947 तक का डीड था ऑनलाइन

आजादी के समय 1947 तक की जमीन के रिकार्ड अभी तक लोग एक क्लिक में देखते थे। झारखंड राज्य निबंधन विभाग द्वारा 1947 तक की जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन किया है। इसके लिए जमीन की रजिस्ट्री, डीडी, म्यूटेशन, रसीद हर कागज स्कैन कर सुरक्षित किया गया है। जमीन का स्टेटस क्या था, जमीन किसके नाम थी, म्यूटेशन किसके नाम था, रसीद किसके नाम कटती थी, ये सब कुछ आसानी से हासिल होता था। इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि जमीन के मामले में हेराफेरी पर बहुत हद तक लगाम लगाने की थी।

झारखंड पहला राज्य है

पूरे देश में झारखंड पहला राज्य है, जहां आजादी के समय तक की जमीन का डिजिटाइजेशन किया गया है। शुरुआत में झारखंड में 1970 की जमीन के सभी दस्तावेज डिजिटल किए गए थे। 1970 के पहले की जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही थी, इसी को देखते हुए वर्ष 1947 तक की जमीन के दस्तावेज को डिजिटली ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है।