रांची: राजधानी के एचईसी इलाके में 1008 परिवारों के लिए लाइट हाउस बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इसका ऑनलाइन शिलान्यास करेंगे। लाइट हाउस प्रोजेक्ट केंद्रीय शहरी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत लोगों को आवास मुहैया कराए जा रहे हैं।

हर नागरिक को मकान

प्रधानमंत्री ने 'हाउसिंग फॉर ऑल' (देश के हर नागरिक के लिए मकान) का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार के एजेंडे में भी यह योजना है कि देश के हर नागरिक को पक्का मकान मुहैया कराना है। 'सभी के लिए घर' मिशन के तहत केंद्रीय सहायता से लोगों के लिए घर बनाए जा रहे हैं। लाइट हाउस प्रोजेक्ट भी उसी का एक हिस्सा है। त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में जीएचटीसी-इंडिया इनिशिएटिव के तहत पक्के मकान बनाए जाएंगे।

300 वर्ग मीटर का फ्लैट

लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत रांची में 300-300 वर्गमीटर की कुल 1,008 आवासीय इकाइयों (फ्लैट) का निर्माण किया जाना है। नयी तकनीक का इस्तेमाल कर कम लागत में टिकाऊ और आपदारोधी मकान बनाये जाने की योजना थी। लाइट हाउस निर्माण के लिए केंद्र सरकार के साथ एमओयू करने के बाद नगर विकास विभाग ने पहली बार बजरा में पांच एकड़ और फिर एचइसी में 5.8 एकड़ जमीन का चयन किया है।

भूकंपरोधी होंगे मकान

रांची में बनने वाले लाइट हाउस प्रोजेक्ट में खास तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते मकान बनाए जाने हैं। दरअसल, इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर मौके पर लाए जाने हैं, जिससे निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है। मकान के निर्माण में समय भी कम लगता है। काम जल्दी होता है, इसलिए प्रोजेक्ट की लागत भी कम होती है। इस प्रोजेक्ट के तहत जो मकान बनाए जाएंगे, वो पूरी तरह से भूकंपरोधी होंगे। भारत में पहली बार ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। प्रोजेक्ट में जापानी कंपनी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। मकान के लिए अलग-अलग टावर बनाए जाएंगे और यह लगभग साल भर में पूरा कर लिया जाएगा।

तकनीक की है विशेषता

इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि जहां निर्माण किया जाना है, वहीं पर मकान के बीम, कॉलम और पैनल आदि एकसाथ लगाए जाते हैं। इसका निर्माण कहीं और होता है लेकिन जहां मकान बनना होता है, वहां इसे फिट किया जाता है। जैसे अन्य मकानों में बनाने के बाद पानी से तर करना पड़ता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में बनाए जाने वाले निर्माण में पानी से तरी की जरूरत नहीं पड़ती। इससे पानी की बचत होती है। पर्यावरण के लिहाज से इस प्रोजेक्ट को काफी अच्छा माना जाता है।

हल्का होगा वजन

इन मकानों का वजन काफी हल्का होता है। हल्के निर्माण होने की वजह से टावर पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता। इस तकनीक में भूकंप रोधी मकान बनाए जा रहे हैं। इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं में ये मकान पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करेंगे।

एक फ्लैट की कीमत 13 लाख

लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत गरीब शहरी लोगों के लिए 1008 फ्लैट बनेंगे। एक फ्लैट की कुल लागत 12.59 लाख रुपए होगी और इसमें से 7.83 लाख रुपए केंद्र और राज्य सरकार से अनुदान के रूप में दिए जाएंगे। कुल 4.76 लाख रुपए की शेष धनराशि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के लाभार्थी को देनी होगी।

फ्लैट में नई तकनीक का होगा इस्तेमाल

सके तहत 14 मंजिला टावर बनाए जाएंगे और 1008 फ्लैट कमजोर वर्ग के लोगों को दिए जाएंगे। राज्य सरकार अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में नई तकनीक का प्रयोग किया जाएगा, जिस कारण निर्माण कार्य कम समय में ही पूरा कर लिया जाएगा। एलएचपी निर्माण क्षेत्र को बदलकर रख देगा, क्योंकि यह निर्माण की एक नई गति का विकास करेगा और पूर्व-निर्मित (प्री फैब्रिकेटेड) वस्तुओं के प्रयोग से निर्माण ज्यादा टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल होगा।