रांची (ब्यूरो)। रिम्स में इलाज कराने आने वाले लोगों को जब टेस्ट कराने की जरूरत होती है, तो उनको प्राइवेट में टेस्ट करना पड़ रहा है। जिससे कि मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं टेस्ट के लिए प्राइवेट लैब के चक्कर लगाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इतना ही नहीं, उन्हें प्राइवेट में 10 गुना तक अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। हॉस्पिटल में मरीजों के टेस्ट सरकारी दर पर किए जाते हैं, लेकिन सेंट्रल लैब में टेस्ट बंद हो गए हैं। अब 50 रुपए का टेस्ट कराने के लिए मरीजों को 500 रुपए तक प्राइवेट लैब में चुकाने पड़ रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में उद्घाटन के बाद से ही सेंट्रल लैब की अनदेखी की जा रही है, जिसका खामियाजा इलाज कराने वाले मरीज भुगत रहे हैं।

राज्य भर के मरीज भर्ती

रिम्स में हर दिन इमरजेंसी में 400 मरीज आते हैं। इसके अलावा ओपीडी में 2000 मरीज डॉक्टरों से कंसल्ट के लिए आते हैं। इनमें से कई मरीजों को एडमिट भी किया जाता है। ऐसे में इनडोर में हमेशा 1500 मरीज एडमिट रहते हैं। इनका भी टेस्ट सेंट्रल लैब में नहीं हो रहा है। इस वजह से इनडोर के मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रिम्स में इलाज कराने के लिए पूरे राज्य के हर जिले से लोग पहुंचते हैं, लेकिन जिस आशा से वो पहुंचते हैं वो पूरा नहीं हो रहा है।

सेंट्रल लैब बेकार

हॉस्पिटल में पैथोलॉजी टेस्ट को एक प्लेटफ ॉर्म पर लाने के लिए रिम्स प्रबंधन ने सेंट्रल लैब बनाया। मशीन लगाने वाली एजेंसी ने पांच करोड़ की मशीनें रिम्स प्रबंधन को गिफ्ट की। वहीं टेस्टिंग का काम भी उसी एजेंसी को दिया गया। आज स्थिति यह हो गई कि इतने बड़े लैब में कई तरह की टेस्टिंग ही बंद हो गई, जहां पर एक दिन में 10 हजार सैंपल टेस्ट करने की क्षमता है, वहां नहीं के बराबर टेस्ट हो रहे हैं। रिम्स प्रबंधन हर बार व्यवस्था को सुधारने के लिए करोड़ो रुपए खर्च करता है, लेकिन मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। हर बार किसी ना किसी कारण से मरीज लाभ लेने से वंचित रह जा रहे हैं।

काफी सस्ती होती थी जांच

निजी लैब में जो जांच 500 रुपये में होती है उस जांच के लिए रिम्स में 90 प्रतिशत से भी कम पैसा लगता है। इसमें सीबीसी टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, आरएफ टी, थायराइड प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल, यूरिया, कंप्लीट हीमोग्राम जैसे 14 पैथोलॉजिकल जांच की व्यवस्था हैं। इन जांचों के लिए प्राइवेट में प्रत्येक टेस्ट पर 150 से 250 रुपए तक मरीजों को देने पड़ रहे हैं।