RANCHI: राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल सदर हॉस्पिटल है। इस हॉस्पिटल को सुपरस्पेशियलिटी बनाया जा रहा है ताकि मरीजों को एक ही छत के नीचे हर तरह के इलाज की सुविधा मिल सके। इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च कर हाइटेक मशीनें भी मंगाई गई ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके। लेकिन ये मशीनें बिना इस्तेमाल किए ही खराब होने लगी है। खुले में रखे होने के कारण अब मशीनों में जंग भी लगने लगा है। इतना ही नहीं मशीन के आने के बाद डेढ़ साल से अधिक का समय भी बीत गया है। जिससे समझा जा सकता है कि अब मशीनों की सर्विस गारंटी भी नहीं मिलेगी।

कार्टून से निकालकर छोड़ दिया बाहर

मेकेनाइज्ड धुलाई के लिए मशीनें मंगाई गई। जिसे लाउंड्री में इंस्टाल करना था। कुछ मशीनें लाउंड्री में रख दी गई। बाकी कुछ मशीनों को कार्टून से निकालकर बाहर छोड़ दिया गया। इंस्टालेशन नहीं होने के कारण आज भी मरीजों को एक ही चादर पर कई दिनों तक इलाज कराना पड़ रहा है।

तो मिलती मरीजों को बेहतर सुविधाएं

हॉस्पिटल में शुरुआत से अब तक मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर मशीनें मंगाई गई। लोगों को उम्मीद थी कि अब इलाज के लिए कहीं और दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट को इसकी चिंता भी नहीं है। अब इतने पैसे खर्च करने के बाद भी मरीजों को जरूरी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। अगर इन मशीनों को खरीदने के बाद इस्तेमाल कर लिया जाता तो मरीजों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।

सेंट्रल स्टरलाइजेशन भी नहीं हो सका चालू

डॉक्टरों और स्टाफ के द्वारा यूज किए जाने वाले कपड़े और इक्विमेंट्स के लिए सेंट्रल स्टरलाइजेशन सिस्टम लगाया जाना है। लेकिन आजतक इसे भी चालू नहीं किया जा सका है। इस वजह से डॉक्टरों के यूनिफार्म से लेकर ओटी में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान स्टरलाइज नहीं किए जा रहे है। बाहर से ही यूनिफार्म की धुलाई कराकर मंगाई जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि खुद की मशीन होने के बावजूद इसे चालू क्यों नहीं कराया गया। जानबूझकर तो इस मशीन को चालू नहीं कराया जा रहा है ताकि किसी खास को फायदा पहुंच सके।