रांची(ब्यूरो)। हरमू स्थित झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दलान में गुरुवार को मैथिली के वरिष्ठ डॉ महेंद्र की पुस्तक पतरसेख का लोकार्पण हुआ, समारोह की अध्यक्षता दूरदर्शन केंद्र रांची के पूर्व निदेशक व साहित्यकार प्रमोद झा ने की। उन्होंने कहा कि अपनी प्रवाहपूर्ण व प्रांजल भाषा तथा ठेठ मैथिली शब्दों से वह जिस तरह का दृश्य रचते हैं, वह पाठकों को मोहित कर लेता है। मैं डॉ। महेंद्र को इस नई पुस्तक के लिए हार्दिक बधाई देता हूं और प्रकाशक किसुन संकल्प लोक का आभार व्यक्त करता हूं कि मैथिली में इतनी आकर्षक साज-सज्जा में पुस्तक को पाठकों को उपलब्ध कराया।
साहित्यक व्यक्तित्व का शब्द चित्र
साहित्यकार व आरयू के प्रो नरेंद्र झा ने कहा कि डॉ। महेंद्र ने जिस संवेदना व सौंदर्यबोध के साथ अपने संस्मरणों में साहित्यिक व्यक्तित्वों का शब्द चित्र उकेरा है, वह विरल है। मैथिली के सुपरिचित साहित्यकार व भारती मंडन पत्रिका के संपादक केदार कानन ने कहा कि डॉ महेंद्र के संस्मरण इतने संवेदनशील एवं पठनीय हैं कि पाठक उसके प्रवाह में सुध-बुध बिसरा बैठता है और एक ही बैठक में पूरी पुस्तक को पढ़ सकता है। उन्होंने बहुत कलात्मकता के साथ विभिन्न साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्णन किया है। व्यंग्यकार राजकुमार मिश्र ने कहा कि डॉ महेंद्र ने मैथिली साहित्य में संस्मरण विधा को नई पहचान एवं नई धार दी है। कथाकार अमरनाथ झा ने कहा कि डॉ महेंद्र के संस्ममरण सुललित मैथिली गद्य का उदाहरण है। मौके पर कृष्ण कुमार झा समेत मंच के सदस्य मौजूद थे।