रांची (ब्यूरो)। हरमू रोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय यूनिवर्सिटी में लोहड़ी और मकर संक्रान्ति के अवसर पर आध्यात्मिक समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि मकर संक्रांति उत्सव मनाने के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्य है, जिससे मानव अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को उत्साह एवं खुशी में रखता है और मनोरंजन का आधार बना लेता है। कलियुग का अंत कर रातयुगी दुनिया में पवित्र आत्माओं को प्रवेश कराने हेतु परमपिता स्वयंप्रभा परमात्मा इस धरा पर अवतीर्ण हुए है। नकर रेखा में संक्रमण के आधार से ही वर्षों की गणना मनीषियों द्वारा की जाती है।

अन्न ग्रहण करने का दिन

इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। इधर, बहन निर्मला ले कहा कि मकर संक्राति अथवा तिल संक्राति विशेष कर नया अन्न ग्रहण करने का यादगार दिन है। प्रभु प्रेमी इस दिन दान-पुण्य कर प्रेम से एक दूसरे के साथ मिलन भी मनाते हैं। तिल, गुड़ दही व चिउड़ा का प्रचलन खाने में होता है जो शरीर को स्वस्थ्य रखने का भी एक आधार बन जाता है। मकर संक्रान्ति के समय परमपिता परमात्मा परम शिक्षक, परम सद्गुरू शिव परमात्मा का दिव्य अवतरण होता है। वे ज्ञान प्रकाश से अज्ञान अंधकार अर्थात दु:ख क्लेश, अशांत जीवन को परिवर्तन कराते हैं। सूर्य का कर्क रेखा से मकर रेखा अधवा उत्तरायण में प्रवेश मानव जीवन में परिवर्तन और विश्व परिवर्तन का आधार बनता है और यह परिवर्तन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पंजाब में इस त्योहार को लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है।

---