रांची(ब्यूरो)। झारखंड की छवि ऐसी बन गई है, जहां न तो समय पर कोई काम होता है और न ही किसी योजना को सफलता पूर्वक पूरा किया जाता है। आम लोगों के हित से जुड़े किसी भी विभाग की लाभकारी योजनाओं को धरातल पर भी उतरने नहीं दिया जाता है। भले ही योजनाओं के लिए मंगाए गए संसाधन सड़ कर कबाड़ ही क्यों न हो जाएं। नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से ऐसी ही एक योजना धरातल पर उतरने से पहले ही करप्शन की भेंट चढ़ गईं। हर घर स्वास्थ्य मुहिम के लिए खरीदे गए दस करोड़ रुपए के 24 वैन को पार्किंग में खड़े-खड़े सड़ा दिया गया। राजधानी रांची के नामकुम स्थित एनएचएम ऑफिस के बाहर खड़े इन वाहनों को एक बार भी उपयोग में लाए बिना ही कबाड़ के रूप तब्दील कर दिया गया। इन वैन को ऑन द स्पॉट ब्लड टेस्ट समेत दूसरे इलाज के उद्देश्य से लिया गया था। टेस्ट के बाद ऑन द स्पॉट रिपोर्ट भी दी जा सकती थी। समय के अनुसार, आधुनिक सुविधाओं से लैस इस वैन को तैयार किया गया था। मगर राजधानी वासियों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा है कि इसका सदुपयोग नहीं किया जा सका।

10 करोड़ के 24 वाहन

करीब पांच साल पहले झारखंड वासियों को सेहतमंद बनाने के उद्देश्य से 24 वैन की खरीदारी की गई थी। इन वैन को एनएचएम पार्किंग में रखा गया था। पांच सालों तक यहीं खड़े-खड़े मेडिकल मोबाइल वैन खराब हो गईं। वैन में चारों और जंग लग गया। वैन के सभी पहियों के चिथड़े उड़ चुके हैं। मेडिकल वैन के अलावा दर्जनों ऐसे वाहन भी हैं जिसका प्रयोग कभी हुआ नहीं, लेकिन उसकी खरीदारी कर पब्लिक के लाखों रुपए बर्बाद कर दिए गए। वाहन में छोटे-छोटे पौधे निकल आए हैं, जो दिनोंदिन इन वाहनों को कंडम बना रहे हैं।

सालाना हजारों करोड़ का बजट

स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर साल हजारों करोड़ रुपए का बजट तैयार किया जाता है। विभिन्न संसाधनों की खरीदारी भी की जाती है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अक्सर संसाधनों की कमी की बात कही जाती है। वहीं, दूसरी ओर विभाग को मुहैया कराए गए संसाधनों को सहेज कर नहीं रख पाते हैं। इस कारण अक्सर संसाधन कबाड़ में बदल जाते हैं। रांची के नामकुम स्थित एनएचएम में करोड़ों की मेडिकल वैन कबाड़ बन चुकी हैं, जिनका इस्तेमाल शहर के विभिन्न इलाकों समेत गांव-गांव जाकर अलग अलग बीमारियों में मौके पर पहुंचकर ऑन द स्पॉट मरीजों का इलाज किया जा सकता था, लेकिन ये मेडिकल वैन आज खुद ही लाइलाज बन गए हैं।

जांच से इलाज तक यूज

इन वाहनों का सदुपयोग होने पर लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती थीं। इन मोबाइल मेडिकल वैन का प्रयोग ब्लड टेस्ट, शुगर, खून जांच में किया जा सकता था। मेडिकल वैन में डोर-टू-डोर जाकर टेस्ट यूनिट सुविधा देने की खासियत थी। इसके अलावा टीबी की जांच और उसका इलाज, गुर्दा, पथरी के इलाज की भी सुविधा इनसे दी जा सकती थी। वैन में रखे सभी उपकरण भी बर्बाद हो चुके हैं। सरकारी संसाधन लापरवाही के कारण किस तरह कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण स्वास्थ्य विभाग में खड़ी मोबाइल मेडिकल वैन हैं।

वैन को दुरुस्त कराकर इसे प्रयोग में लाने का प्रयास किया जाएगा। सरकार की सभी योजनाएं आम लोगों के लिए होती हैं। उन्हें उनका लाभ दिया जाएगा।

-बन्ना गुप्ता, हेल्थ मिनिस्टर