RANCHI: सिटी में लॉकडाउन के बीच भले ही डेयरी फार्म वालों की दूध की डिमांड कम हो गई है, लेकिन सिटी में चल रहे खटाल वालों के पास दूध उपलब्ध है। ऐसे में जाहिर है कि लोग दूध खरीदने के लिए खटाल में ही जाएंगे। इस बीच खटालों में तत्काल दूध की कीमतों में पांच रुपए किलो की बढ़ोतरी कर दी गई है। पांच रुपए बढ़ाए जाने के बाद एक किलो दूध 45-50 रुपए किलो हो गया है, जिससे कि खटाल से दूध लेने वाली पब्लिक की जेब पर बोझ बढ़ गया है। यह स्थिति लोगों को लॉकडाउन जारी रहने तक झेलनी पड़ेगी। हालांकि इसे लेकर एहरा में कंप्लेन की गई है।

चारा भी महंगा

खटाल संचालक पालतू जानवरों के लिए चारा दुकान से खरीदकर ला रहे हैं, जिसमें सबसे जरूरी चोकर होता है, जिससे कि गाय चारा ठीक से खाती है। ऐसे में एक हजार से 1050 रुपए में बोरा बिकने वाला चोकर 1400-1500 रुपए में दुकानदार बेच रहे हैं। पूछने पर बस खटाल संचालकों को बिल थमा दिया जाता है। इसके अलावा गाय-भैंसों को खिलाई जानेवाली कुट्टी, बादाम खल्ली, सरसो खल्ली की कीमत भी मनमाने ढंग से बढ़ा दी गई है। अब गाय को पालना है तो चारा लेना संचालकों की मजबूरी बन गई है। वहीं बढ़ी हुई कीमत की भरपाई संचालक ग्राहकों से कर रहे हैं।

मिल वालों ने बढ़ाई कीमत

सिटी में पशु चारा सप्लाई करने वाले एक मिल के स्टाफ की मानें तो सरकार ने कच्चे माल का दाम बढ़ा दिया है। इस वजह से ही मार्केट में महंगा चारा बेचा जा रहा है। जबकि सरकार ने किसी भी चीज की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की है। ऐसे में मील संचालक सरकार के नाम पर मनमानी वसूली करने में जुटे हैं। वहीं दुकान वालों की भी ऐसी स्थिति में चांदी हो गई है।

एफआईआर की तैयारी

पशुओं का चारा महंगा बेचे जाने की कंप्लेन खटाल वालों ने ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (एहरा) के नेशनल ज्वाइंट सेक्त्रेटरी सुनील किस्पोट्टा से की। इसके बाद वह खुद टीम के साथ सिटी के चारा दुकानों का जायजा लेने निकल पड़े। जहां दुकानदारों ने उन्हें चारा का दाम पूछने पर रसीद थमा दी। साथ ही कहा कि उन्हें मिल से ही महंगा चारा दिया जा रहा है। इसके बाद वह तुपुदाना के पास स्थित मिल भी पहुंच गए। लेकिन ड्यूटी में तैनात मुंशी ने टाल-मटोल करते हुए बात बदलने की कोशिश की। वहीं कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया। अब एहरा के सुनील किस्पोट्टा डीसी से कंप्लेन करने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही ऐसे चारा दुकानदारों पर एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी, जिससे कि खटाल चलाने वालों को राहत मिले सके। चूंकि लॉकडाउन में किसी भी तरह के कालाबाजारी करने पर रोक है।