रांची : कोरोना से जूझ रहे झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। मेडिका अस्पताल में चिकित्सकों के निर्देश पर रविवार दोपहर उन्हें इनवेंसिव वेंटीलेटर सपोर्ट दिया गया है। चिकित्सक भी लगातार स्थिति में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री की बिगड़ती स्थिति का जायजा लेने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मेडिका अस्पताल पहुंचे और डाक्टरों से महतो के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के साथ ही बेहतर इलाज के निर्देश दिए। सीएम के साथ कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी मौजूद थे।

बाहर जाने लायक नहीं

अस्पताल से निकलते हुए उन्होंने बताया कि मंत्री की वर्तमान स्थिति इलाज के लिए राज्य से बाहर ले जाने लायक नहीं है। हालांकि इसे लेकर प्रयास हो रहा है। चेन्नई के लंग्स स्पेशलिस्ट से बात हुई है। चेन्नई से चिकित्सकों की टीम सोमवार को आने वाली थी, लेकिन टीम से रविवार को ही आने का अनुरोध किया गया है, ताकि मंत्री को बाहर ले जाने व बेहतर इलाज के संबंध में विचार-विमर्श किया जा सके। चेन्नई से आने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों में डा। ¨जदल और उनकी टीम के सदस्य शामिल हैं। खबर लिखे जाने तक टीम रांची नहीं पहुंची थी।

फेफड़ा पूरी तरह खराब

जगरनाथ महतो का इलाज कर रहे रिम्स के क्रिटिकल केयर हेड डा। प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि पिछले 12 घंटे में शिक्षा मंत्री की तबीयत काफी बिगड़ चुकी है। फेफड़ा पूरी तरह डैमेज होने के कारण उसे बदलने पर विचार चल रहा है। रविवार को उहें नन इनवेंसिव वेंटीलेटर सपोर्ट से हटाकर दोपहर करीब 1 बजे इनवेंसिव वेंटीलेटर सपोर्ट में डाला गया है। आक्सीजन सेचुरेशन गिरने के बाद रविवार को उन्हें वेंटीलेटर में डालने के बाद औंधे मुंह बिस्तर पर सुलाया गया और हाई फ्लो आक्सीजन दिया गया। इसके बाद दोबारा सेचुरेशन 90 फीसद तक पहुंच गया है। डा। प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का लगातार उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेकर सीएम को अवगत करा रहे हैं।

28 सितंबर को हुए थे संक्रमित

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 28 सितंबर को कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद उन्हें रिम्स के कोविड आइसीयू में भर्ती कराया गया था। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए एक अक्तूबर को रांची स्थित मेडिका अस्पताल में शिफ्ट कराया गया। चेन्नई की टीम पहुंचने के बाद उनकी स्थिति की समीक्षा की जाएगी। बाहर ले जाने की हालत होने पर पर उन्हें प्रदेश से बाहर के अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए चिकित्सकों के निर्देश का इंतजार है।