रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची स्थित होटवार बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल को सबसे सुरक्षित बताया जाता है। यहां कैदियों की पूरी निगरानी के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन हर बार यहां ये दावे खोखले नजर आते हैं। जब-जब इस जेल में औचक निरीक्षण हुआ कुछ न कुछ खामियां पाई गईं। जेल परिसर में तमाम पाबंदी के बाद भी एक्टिव मोबाइल फोन निकल ही आता है। कुछ दिनों पहले एटीएस यानी की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड ने भी यहां करीब 150 मोबाइल ऑपरेट होने का चौंकाने वाला खुलासा किया था।

कुख्यात अपराधी हैं बंद

इस जेल में सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि धनबाद, हजारीबाग व दूसरे जिलों के भी कुख्यात अपराधी बंद हैं। लेकिन जेल में रहते हुए भी ये गैंगस्टर अपने गुर्गों से लगातार कांटैक्ट में रहते हैं। एटीएस के टेक्निकल सेल ने जांच में पाया कि जेल परिसर में 150 से ज्यादा सिम कार्ड एक्टिव स्थिति में हैं। तमाम प्रयास के बाद भी जेल में मोबाइल का यूज रोकने में जेल प्रबंधन असफल साबित हो रहा है।

जैमर अपग्रेड करने की मांग

बिरसा मुंडा कारागार को झारखंड के सबसे संवेदनशील और सुरक्षित जेल बताया जाता है। लेकिन बार-बार मोबाइल फोन मिलने से इस जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। 150 मोबाइल एक्टिव हालत में सूचना मिलने के बाद एटीएस ने इसकी शिकायत दर्ज करवा दी है। शिकायत के बाद पुलिस मुख्यालय ने जेल के भीतर एक्टिव सिमकार्ड नंबर, व्हाट्सएप नंबर, आइईएमईआई नंबर और वर्चुअल नंबर के डिटेल के साथ पूरी रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध करा दी है। साथ ही जेल में मोबाइल नेटवर्क को जाम करने के लिए जैमर अपग्रेड करने की भी मांग मुख्यालय द्वारा की गई है।

थ्रेट कॉल पर एटीएस एक्टिव

राजधानी में आए दिन रंगदारी के मामले सामने आते रहते हैं। कई बार जेल से भी रंगदारी मांगे जाने की शिकायत आ चुकी है। फिर भी जेल प्रबंधन की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता। डाक्टर्स से लेकर विभिन्न सेक्टर से जुड़े कारोबारियों को थ्रेट कॉल कर रंगदारी मांगी जाती है। इन्ही थ्रेट कॉल के जरिए एटीएस की टेक्नीकल सेल ने जेल में मोबाइल एक्टिव होने की पुष्टि की थी, जिसके बाद जेलर के साथ जेल सुपरिंटेंडेट पर भी कार्रवाई हुई। लेकिन मोबाइल यूज का सिलसिला अब भी नहीं थमा है।

गैंगस्टर पर मोबाइल रखने के आरोप

बिरसा मुंडा जेल में कई हिस्ट्रीशीटर कुख्यात गैंगस्टर्स बंद हैं। इनके द्वारा मोबाइल ऑपरेट करने की सूचना कई बार मिली है। इस मामले में जेल प्रशासन पर लापरवाही और मिलीभगत होने का भी आरोप लगा है। जेल में बंद अपराधी अमन साहू, अमन सिंह, सुजीत सिन्हा, हरिकिशोर प्रसाद उर्फ किशोर, राजू सिंह समेत अन्य अपराधियों द्वारा मोबाइल का इस्तेमाल रंगदारी मांगने और अपने गिरोह के लोगों को निर्देश देने के लिए किया जाता है। खेलगावं थाना प्रभारी ने इसकी लिखित शिकायत की गई थी, जिसमे गैंगस्टर के साथ-साथ जेल कर्मियों को भी आरोपी बनाया गया था। शिकायत के बाद लगातार टेक्निकल टीम जेल में से ऑपरेट हो रहे सिम कार्ड पर पैनी नजर बनाए थी। साथ ही लोगों को जिस नंबर से रंगदारी के लिए फोन आते थे। उसकी पूरी पड़ताल भी की जा रही थी।

जेल का जैमर है यूजलेस

मुख्यालय की ओर से जेल के जैमर का अपग्रेड करने की भी मांग की गई है। बताते चले कि आज भी यहां टू जी जैमर ही लगा हुआ है, जबकि अपराधी फोर जी नेटवर्क वाला मोबाइल फोन बड़ी आसानी से इस्तेमाल कर रहे हैं। कई बार जैमर अपग्रेड करने की भी मांग उठ चुकी है। फोर जी जैमर लगाने को लेकर कवायद हुई भी लेकिन योजना अधर में लटक गई है। इसका फायदा यहां बंद अपराधी उठा रहे हैं। जेल कर्मियों की मिलीभगत से मोबाइल फोन अपराधियों तक पहुंच जाता है। लेकिन छापेमारी में पुलिस को सिर्फ खैनी की डिबिया ही बरामद होती है। खेलगांव थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ा दी गई है। साथ ही एसएसपी को भी एटीएस द्वारा जांच की पूरी रिपोर्ट सौंप दी गई है। अब देखने वाली बात यह है कि जेल कैंपस में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर कब तक ब्रेक लगता है और कब यहां के जैमर को अपग्रेड किया जाता है।