RANCHI: राजधानी में साफ-सफाई से लेकर फॉगिंग और सेनेटाइजेशन की जिम्मेवारी रांची नगर निगम की है। लेकिन निगम सिटी में फॉगिंग को लेकर लापरवाह हो गया है। अब इसका खामियाजा सिटी के लोग भुगत रहे हैं। मच्छरों के डंक से उनकी हालत खराब हो रही है। वहीं दिन के वक्त अपने घरों में एक पल बैठना भी आफत हो गया है। ऐसे में सिटी के लोग गुहार लगा रहे हैं कि नगर आयुक्त साहब फॉगिंग कराइए, मच्छर काट रहे हैं।

मशीनें खरीदने की योजना ठंडे बस्ते में

सिटी में पहले फॉगिंग के लिए ऑटो माउंटेड खरीदने की मंजूरी बोर्ड बैठक में मिली थीं। इसके बाद कोल्ड फागिंग के लिए नई मशीनें खरीदने को लेकर योजना बनीं, जिससे कि पूरे शहर को कवर करने की योजना थीं, लेकिन कुछ दिनों के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। अब पहले की ही तीन कोल्ड फागिंग मशीनों से पूरे शहर में फागिंग कराई जा रही है। वहीं फॉगिंग मशीनें स्टोर में कबाड़ हो रही हैं।

छिड़काव के लिए बदला केमिकल

नगर निगम फागिंग कराने में डीजल का इस्तेमाल करता था। बाद में कोल्ड फागिंग मशीन मंगाई गई, जिसमें केमिकल को पानी में मिलाकर छिड़काव कराया जा रहा था। यह केमिकल लार्वा पर असरदार बताया गया। वहीं नगर निगम का डीजल पर होने वाला खर्च भी कम हो गया। इसके बाद भी नगर निगम ने रेगुलर फागिंग बंद करा दी है।

हाइकोर्ट की फटकार से खुली थी नींद

हाइकोर्ट ने पहले रांची नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगाई थी और सिटी में रेगुलर फॉगिंग कराने का आदेश दिया था। ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों को मच्छरों वाले इलाकों में भेजने की भी बात कही गई थी। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों की नींद खुली थी और फागिंग के लिए रोस्टर बनाया गया था। अब फिर से फागिंग के नाम पर केवल आईवॉश किया जा रहा है।

क्या कहती है पब्लिक

हमारे एरिया में तो फॉगिंग के लिए गाडि़यां आती ही नहीं हैं। मच्छरों का आतंक इतना है कि घर में बैठना भी मुश्किल है। अगर निगम रेगुलर फागिंग कराता तो मुश्किल नहीं होती। टैक्स लेने के लिए तो ये लोग टाइम पर पहुंच जाते हैं। फागिंग करा दें, बीमारियां भी नहीं फैलेगी।

विकास जायसवाल

हमलोग के एरिया में फागिंग के लिए गाडि़यां कब आती हैं याद भी नहीं है। केवल ये लोग कागजों में फागिंग कराते हैं। अगर शहर में फागिंग होती तो मच्छर तो इतने ज्यादा होते ही नहीं। अगर इन लोगों को हमारे एरिया में लाकर रखा जाए तो हमारी परेशानी समझेंगे।

सुमित पोद्दार

फॉगिंग का दावा नगर निगम करता है। लेकिन फागिंग देखने को मिलता ही नहीं। मच्छरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है निगम कितना अलर्ट है। हमारी परेशानी समझते हुए अगर फागिंग कराई जाए तो मच्छर कम हो जाएंगे। इसके लिए अधिकारियों को जागना होगा।

प्रवीण झा

गाड़ी तो फागिंग के लिए आती ही नहीं है। हमारा एरिया तो कवर ही नहीं होता है। अगर निगम फागिंग रेगुलर करवा दे तो मच्छरों का आतंक कम हो जाएगा। इसके बाद नई बीमारियां होने का खतरा नहीं होगा। अभी हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं डेंगू-मलेरिया न हो जाए।

राजीव रंजन