रांची: झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी (जेएफटीए) के एक्टिंग स्टूडेंट्स ने डमरू नामक एक मोटिवेशनल फिल्म बनाई है। इसमें खास बात ये है कि फिल्म में काम कर रहे सभी कलाकारों ने अपने मोबाइल फोन से ही अपने शॉट्स लिए हैं, वो भी अलग अलग शहरों में रह कर। फिल्म को जेएफटीए के ऑफिशियल यूटयूब चैनल पर जारी किया गया है, जिसे दर्शकों का काफी अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। फिल्म में काम कर रहे कलाकारों में शामिल हैं दीपांशु चैटर्जी, निशा गुप्ता, सर्वेश करण, अरुण सिंह, सत्य मुंडा और आतिफ हुसैन, जबकि फिल्म को अपनी आवाज से नैरेट किया है नीलेश वर्मा ने।

क्रिएटिविटी बरकरार रखने की पहल

दरअसल, कोरोना के इस संकट काल में जहां इंसान अपने घर पर ही दुबका हुआ है, ऐसे में युवाओं की रचनात्मकता को बरकरार रखने के लिए झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी ( जेएफटीए) का सेल फोन से फिल्में बनाने का प्रयास एक बार फिर कारगर साबित हुआ है। गौरतलब है कि लॉक डाउन के दौरान जेएफटीए स्टूडेंट्स को ऑनलाइन एक्टिंग क्लास करवाता है, जिसके तहत स्टूडेंट्स को रोज टास्क दिए जाते हैं, जिसका उन्हें रोज अपने फोन से वीडियो बनाकर भेजना होता है, जिसे एडिट कर फिल्म का रूप दिया जाता है, और उसे जेएफटीए के ऑफिशियल यूटयूब चैनल पर अपलोड कर दिया जाता है।

पिछले साल जीते कई अवा‌र्ड्स

जेएफटीए के निदेशक राजीव सिन्हा के मुताबिक, सेल फोन फिल्म्स एक अच्छा माध्यम है अभिनय प्रशिक्षुओं के लिए, जो इसके जरिए खुद व्यस्त रख लेते हैं और किसी भी तरह की निगेटिविटी से दूर रहते हैं। बीते साल के लॉक डाउन के दौरान भी जेएफटीए ने कई फिल्में सेल फोन से बनाई, जिसे अलग अलग प्रतियोगिताओं में कई अवॉ‌र्ड्स भी मिले, जिसमें मोमेंटो, सर्टिफिकेट्स के अलावा कैश प्राइज भी शामिल हैं।

क्या है कहानी

एक बार की बात है, देवताओं के राजा इंद्र ने किसानों से किसी कारण नाराज होकर बारह वर्षो तक बारिश न करने का निर्णय लेकर किसानों से कहा-अब आप लोग बारह वर्षो तक फसल नहीं ले सकेंगे। सारे किसान चिंतातुर होकर एक साथ इंद्रदेव से वर्षा करवाने की प्रार्थना करने लगे । इंद्र ने कहा -यदि भगवान शंकर अपना डमरू बजा देंगे तो वर्षा हो सकती है। इंद्र ने किसानों को ये उपाय तो बताया लेकिन साथ में गुप्तवार्ता कर भगवान शिव से ये आग्रह कर दिया कि आप किसानों से सहमत न होना। जब किसान भगवान शंकर के पास पहुंचे तो भगवान ने उन्हें कहा -डमरू तो बारह वर्ष बाद ही बजेगा। किसानों ने निराश होकर बारह वर्षो तक खेती न करने का निर्णय लिया। उनमें से एक किसान था जिसने खेत में अपना काम करना नहीं छोड़ा। वो नियमित रूप से खेत जोतना, निंदाई, गुड़ाई, बीज बोने का काम कर रहा था। ये माजरा देख कर गांव के किसान उसका मजाक उड़ाने लगे। कुछ वर्षो बाद गांव वाले इस परिश्रमी किसान से पूछने लगे -जब आपको पता है कि बारह वर्षो तक वर्षा नही होने वाली तो अपना समय और ऊर्जा क्यों नष्ट कर रहे हो। उस किसान ने उत्तर दिया-मैं, भी जानता हूं कि बारह वर्ष फसल नहीं आने वाली लेकिन मैं, ये काम अपने अभ्यास के लिए कर रहा हूं। क्योंकि बारह साल कुछ न करके मैं, खेती किसानी का काम भूल जाऊंगा, मेरे शरीर की श्रम करने की आदत छूट जाएगी। इसीलिए ये काम मैं, नियमित कर रहा हूं ताकि जब बारह साल बाद वर्षा होगी तब मुझे अपना काम करने के लिए कोई कठिनाई न हो। ये तार्किक चर्चा माता पार्वती भी बड़े कौतूहल के साथ सुन रही थी। बात सुनने के बाद माता, भगवान शिव से सहज बोली -प्रभु, आप भी बारह वर्षो के बाद डमरू बजाना भूल सकते हैं। माता पार्वती की बात सुन कर भोले बाबा चिंतित हो गए। अपना डमरू बज रहा या नही ये देखने के लिए उन्होंने डमरू उठाया और बजाने का प्रयत्न करने लगे। जैसे ही डमरू बजा बारिश शुरू हो गई जो किसान अपने खेत में नियमित रूप से काम कर रहा था उसके खेत में भरपूर फसल आयी। बाकी के किसान अफसोस के अलावा कुछ न कर सके। दो सप्ताह, दो माह, दो वर्षो के बाद कभी तो लॉकडाउन खत्म होगा, सामान्य जनजीवन शुरू होगा। केवल नकारात्मक बातों पर अपना ध्यान लगाने के बजाय हम अपने कार्य- व्यवसाय से संबंधित कुशलताओं की धार पैनी करने का, अपनी अभिरुचि का अभ्यास करते रहेंगे। डमरू कभी भी बज सकता है।